uma (umanath lal das) की किताबें व् कहानियां मुफ्त पढ़ें

काश आप कमीने होते ! - 8

by uma (umanath lal das)
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और इधर शहर के पत्रकारों रमेंद्र जी, दयाल जी, पी चौबे आदि की सारी रामकहानी सुमन जी से सुनकर ...

काश आप कमीने होते ! - 7

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प्रसाद जी ने एक विद्यालय संचालक शकर सर की दबंगई का राज खोलते हुए कहा- जानते हैं शंकर सर ...

काश आप कमीने होते ! - 6

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समझता तो वह भी था कि जीवन इससे चलनेवाला नहीं, लेकिन यह समझदारी किसी काम की नहीं थी। वह ...

काश आप कमीने होते ! - 5

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सिन्हा जी – ‘बाजार में अपने स्पेस को लोकेट किए बिना आप कहीं नहीं रह सकते। अखबार अपने ढंग ...

काश आप कमीने होते ! - 4

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जले-भुने प्रसाद जी एक दिन सिन्हा जी से कहते हैं – ‘जानते हैं बास, अब बहुत जल्द हम सभी ...

काश आप कमीने होते ! - 3

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लोगों को क्या मालूम कि सिन्हा जी चाट रहे हैं या झेल रहे हैं कोई फोड़ा जो फूटने का ...

काश आप कमीने होते ! - 2

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दुबारा शाम को भी सिन्हा जी उसी का प्रवचन सुनते हुए दफ्तर जाते। अखबार के दफ्तर में पांव पड़ते ...

काश आप कमीने होते ! - 1

by uma (umanath lal das)
  • (3.3/5)
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पाठकों की आश्वस्ति के लिए मैं यह हलफनामा नहीं दे सकता कि कहानी के पात्र, घटनाक्रम, स्थान आदि काल्पनिक ...