Lovelesh Dutt की किताबें व् कहानियां मुफ्त पढ़ें

एक थी दक्षिता

by Lovelesh Dutt
  • 4.4k

धनानन्द से अपमानित चाणक्य ने नंदवंश के नाश का संकल्प लेने के बाद चंद्रगुप्त को तक्षशिला में प्रवेश दिला ...

द्रोपा भाभी

by Lovelesh Dutt
  • 6.2k

“द्रोपा खत्म हो गयी” सुबह आँख खोलते ही माँ ने बताया, “सुबह तीन बजे के करीब खत्म हुई। लोगों ...

लच्छो

by Lovelesh Dutt
  • 10.4k

नाम तो लक्ष्मी था उसका, लेकिन ऐसे नाम भाग्यहीनों, गरीबों और अनाथों को शोभा नहीं देते। शायद यही सोचकर ...

दूसरा सूरज

by Lovelesh Dutt
  • 5.6k

दूसरा सूरज--लवलेश दत्त“लोग कहते हैं...मैं शराबी हूँ...तुमने भी ...” लड़खड़ाती ज़बान से गाते हुए चरनजीत घर में घुसा और ...

सुनहरी साँझ

by Lovelesh Dutt
  • 7.5k

सुनहरी साँझ---लवलेश दत्त“हैलो! भइया...” वीरेन्द्र ने बड़े भाई सुरेन्द्र को फोन किया।“हाँ वीरू! क्या हुआ?” “क्या हुआ? आप तो ...

वह एक दिन

by Lovelesh Dutt
  • 7.7k

वह एक दिन--लवलेश दत्त‘उफ! यह तो बहुत मुसीबत हो गयी’, अखबार की हेडलाइन ‘देश में इक्कीस दिन के लिए ...

मकान

by Lovelesh Dutt
  • 5.9k

“अरे...ठाकुरदास...ओ ठाकुरदास...” अन्दर आते हुए डाकिये की आवाज़ ने अमरावती को असहज कर दिया। उसने पास बैठी अपनी दस ...

दरवाज़े

by Lovelesh Dutt
  • 5.5k

मंदिर में आरती और घंटियों का मधुर संगीत मन की गहराइयों में उतर रहा था। धूप और अगरबत्तियों की ...

कहानी - ज़रूरतें

by Lovelesh Dutt
  • (4/5)
  • 6k

“अब फैसला आपको करना है। मेरी बात मानेंगे तो दोनों की ज़रूरतें पूरी हो जाएँगी, वरना...” कहकर स्मृति चली ...

कहानी - रांग नम्बर

by Lovelesh Dutt
  • (4.1/5)
  • 8k

“हैलो...हैलो...अंकित बेटा...हम पहुँचने वाले हैं...ट्रेन आउटर पर खड़ी है।” “अच्छा पापा, मैं भी निकलता हूँ ऑफिस से, बस दस ...