मेरे ये व्यंग्य आज की विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विसंगतियों पर करारा तंज़ करते हैं. ये व्यंग्य ...
Kahi Khushi, Kahi Gum
प्रतीकों के माध्यम से रची गयी ये दोनों कहानियाँ आज के समय की परतों को बखूबी खोलने का प्रयास ...
ख़राब मौसम...दो युवा...एक स्त्री और एक पुरुष...एक ही कमरे में...अकेले...अतीत का साया...यादों के बवंडर...और काटने को पूरी एक रात...साथ-साथ...
Bimn Daa Ke Usula Bhi N
Mera Dosta Mera Spaidara Maina
Jo Darr Gaya Vo Mar Gaya
Facebookia Buddhijivi
Kahi Main Asanvaidhanik To Nahi
India Three G Par Busy