कल्पना मनोरमा की किताबें व् कहानियां मुफ्त पढ़ें

कमल पत्ते-सा हरा-भरा गाँव 

by Kalpana Bajpai
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अभी दीवाली के दिन आये नहीं हैं और हवा में ठंडक आ गयी है | ये बदलाव प्रकृति के ...

दो ध्रुवों पर मित्रता के रंग 

by Kalpana Bajpai
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दो ध्रुवों पर मित्रता के रंग “हेलो सुजाता, क्या मैं अभी बात कर सकती हूँ ?”“हाँ हाँ क्यों नहीं ...

थोथा चना बाजे घना

by Kalpana Bajpai
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थोथा चना बाजे घना “हेलो अब्बा !”“हाँ हसना, क्या बात है ? आज तेरी आव़ाज इतनी भीगी-भीगी-सी क्यों लग ...

वक्त की व्याख्या

by Kalpana Bajpai
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वक्त की व्याख्या "गंगू तुम गरीबी में भी अपनी ईमानदारी, तराजू पर रखता है और ये बहुत बड़ी बात ...

अँखुआये ताले

by Kalpana Bajpai
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"हैलो मिताली! कैसी हो बेटा?" सात समुंदर पार से आज नीता ने फोन पर बेटी से हालचाल पूछा, तो ...

सदा सुहागिन रहो !

by Kalpana Bajpai
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बेटी की शादी के बाद कुलदेवी की पूजा करवाने संजना भारत आई थी । अपने लोगों से चारों ओर ...

कागा सब तन खाइयो

by Kalpana Bajpai
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बेटे की शादी के बाद अपने-अपने नाती-पोते के जन्मोत्सव पर उषा और मंजुला फिर से मिल रही थीं ।अचानक ...

रँगरेज़ा के रंगों की थाप

by Kalpana Bajpai
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घर में जब से स्वच्छंद विचार धारा वाली बहू ब्याहकर आई थी तब से घर की रंगत ऐसी बदली ...

ध्वनियों के दाग 

by Kalpana Bajpai
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“संयक्त परिवार में अक्सर दोपहर तक के घर के काम निपटाते- निपटाते औरतें थककर चूर हो जातीं हैं ...

बदलते प्रतिमान

by Kalpana Bajpai
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सुबह जागने के लिए और रात सोने के लिए न बनायी जाती, तो कितना अच्छा होता न किसी को ...