साल का आखिरी दिन था। पूरा शहर जश्न मनाने की तैयारी कर रहा था। सड़कों पर भीड़ कम हो ...
जून की गर्मी में, लगभग डेढ़ घंटे से चिलचलाती धूप में, धूल से अटी उस सड़क पर पसीने से ...
"सिएस्ता की बीच", यहीं तो आना चाहता था वो हमेशा से। कितना ख़ूबसूरत नज़ारा, साफ़ पानी, सफ़ेद रेत, अपनी ...
सब राज़ी हैं। अम्मी के अल्फ़ाज़ शमा के कानों में गूँज रहे थे। यही तो उसका डर था कि ...
उधर अपने अपार्टमेंट में पहुँचकर शमा ने दरवाज़ा बंद किया और सोफ़े पर बेजान सी लुढ़क गयी। गालों पर ...
पूरा हफ़्ता स्कूल के काम-काज में कैसे गुज़र गया, शमा को पता ही नहीं चला। एग्ज़ाम हो कर हटे ...
शिमला की ख़ूबसूरती और बदली आबोहवा के साथ, पूजा की दोस्ती ने शमा को कुछ ही हफ़्तों में बेहतर ...
अब्बू के साथ घर पहुँची शमा किसी मशीन की तरह अम्मी से मिली और सीधे अपने कमरे में चली ...
शादी का दिन आया। शादी भी हुई और शमा रुख़सत भी हुई। अपनी मासूम आँखों में, रंगीन सपने सजाये, ...
दूर पहाड़ों के पीछे डूबता सूरज, आसमान में फैली लाली, ख़ूबसूरत वादियों को धीमे-धीमे से आगोश में लेता शाम ...