Tarkeshwer Kumar की किताबें व् कहानियां मुफ्त पढ़ें

वो डरावनी चुड़ैल - 5

by Tarkeshwer Kumar
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पहले बच्चे और अब जवान। क्या हो रहा हैं।फिर से एक सभा बुलाई गई और सबसे उनके विचार मांगे ...

बहरूपिया बकरी - 1

by Tarkeshwer Kumar
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जिंदगी कभी कभी अच्छी तो कभी ज़ालिम हो जाती हैं। कभी अच्छे तो कभी बुरे पल दिखाती हैं।जो लिखा ...

वो डरावनी चुड़ैल - 4

by Tarkeshwer Kumar
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सब लोग डर गए और बोले तू क्या कर रा हैं यहां तू तो नहीं आने वाला था ना।वो ...

वो डरावनी चुड़ैल - 3

by Tarkeshwer Kumar
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....लेकिन किसी के दिमाग में ये नहीं आया की उस बुजुर्ग को ढूंढ के इस घटना के बारे में ...

वो डरावनी चुड़ैल - 2

by Tarkeshwer Kumar
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कम से कम 1 किलो मीटर भागने के बाद वो रुका और जोर जोर से सांस लेने लगा और ...

वो डरावनी चुड़ैल - 1

by Tarkeshwer Kumar
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अचानक उस शहर से बच्चों की अर्थियां उठने लगी थी।सब हक्के बक्के थे। चारों और मातम पसरा हुआ था। ...

भूतिया पटरी

by Tarkeshwer Kumar
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काल्पनिक कहानी!यह घटना एक छोटे से गांव की है, शहर से दूर जहां पर भोले भाले गांव वाले रहते ...

उल्टे पैर - 5

by Tarkeshwer Kumar
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मशाल धीरे धीरे बुझती जा रही थी और वो शख्स नींद के अघोष में धीरे धीरे को रहा था। ...

उल्टे पैर - 4

by Tarkeshwer Kumar
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कटे हुए सर से लदे पेड़ से जैसे ही थोड़ी आगे जाते हैं तो वहां।एक नदी मिलती हैं जिसमे ...

उल्टे पैर - 3

by Tarkeshwer Kumar
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गोलू बेहोश होकर अपने कमरे में गिर पड़ा था।यहां नाना जी ने पाया की तारक के पीठ पर चुड़ैल ...