सर्वश्रेष्ठ मनोविज्ञान कहानियाँ पढ़ें और PDF में डाउनलोड करें

मैं जाग उठी हूँ.

by Ashish Khare
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कहानी का नाम. मैं जगा उठी हूँ....यह कहानी मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के पास की हैआज से 2 ...

जहाँ चाह वहाँ राह

by Sudhir Srivastava
  • 5.1k

कहीं पढ़ा देखा है कि अंग्रेजी की एक पुरानी कहावत है जिसका आशय कुछ यूँ है कि यदि हमारा ...

मोबाइल पर बच्चों की निर्भरता दोषी कौन

by Sudhir Srivastava
  • 2.7k

लघु लेखमोबाइल पर बच्चों की निर्भरता: दोषी कौन?*************** आज हमारे घर परिवार में एक बड़ी समस्या भविष्य की चुनौती ...

ज़िन्दगी के पन्ने

by vedika patil
  • 6.7k

"ज़िंदगी के पन्नों पर ख्वाब लिखे थे... हर एक अरमान दिल से लिखे थे... ज़िंदगी चलती रही और पन्ने ...

हवाई जहाज

by Priya Vachhani
  • 3.5k

हवाई जहाज कहानी बाल मनोविज्ञान पर आधारित कहानी है. जो सामाजिक संदेश देने के साथ साथ पहली हवाई जहाज ...

सबा - 34

by Prabodh Kumar Govil
  • 2.6k

मंत्रीजी के वापस लौट कर आते ही पीछे पीछे एक सेवक बड़ी सी ट्रे में तीन चार प्लेटें लेकर ...

तिराहा

by Lakhan Nagar
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  • 7.1k

बरसात का दिन था हल्की-हल्की बौछारे बालकनी से अन्दर आ रही थी। अचानक सीमा कंधे पर हाथ रखती है ...

सबा - 33

by Prabodh Kumar Govil
  • 2k

मंत्रीजी एकाएक उठ कर भीतर चले गए। उनका चेहरा अपमान और गुस्से से तमतमाया हुआ था। बाउंसर्स को बुलाने ...

सबा - 32

by Prabodh Kumar Govil
  • 2k

राजा लौट आया। विदेश से लौटने के बाद उसने अपने मैनेजर साहब से कुछ दिन गांव में ही रहने ...

समय का पहिया

by Wow Mission successful
  • 5.4k

हमारे घर से करीब 10 किलोमीटर दूर एक कब्रिस्तान है उसके बगल में एक सदियों पुराना घर है जिसके ...

सबा - 31

by Prabodh Kumar Govil
  • 2.5k

राजा को बड़ा अजीब सा लगा। यदि वो अपने देश में होता तो शायद अपने दोस्तों के साथ मिल ...

सबा - 30

by Prabodh Kumar Govil
  • 2.3k

- ये कैसे हो सकता है? बिजली लगभग चिल्ला पड़ी। - कैसे हुआ, ये कहानी तो सिर्फ़ तुम बता ...

सबा - 29

by Prabodh Kumar Govil
  • 1.9k

राजा को बड़ा अचंभा हुआ। यही कुछ तो खुद अपने देश में भी हुआ था। हां, बस नाम कुछ ...

सबा - 28

by Prabodh Kumar Govil
  • 1.9k

सालू को दो दिन के लिए कहीं जाना था। यहां आने के बाद से ही उसकी व्यस्तता काफ़ी बढ़ ...

सबा - 27

by Prabodh Kumar Govil
  • 2k

ज़िंदगी संयोगों का ही नाम है। जब राजा ने ये सुना कि नंदिनी नाम की इस लड़की की शादी ...

सेक्‍स एक समस्‍या

by Arya Tiwari
  • 7.6k

एक कहानी से मैं अपनी बात शुरू करना चाहूंगा। एक बहुत अद्भुत व्‍यक्‍ति हुआ है, उस व्‍यक्ति का नाम ...

सबा - 26

by Prabodh Kumar Govil
  • 2.1k

नंदिनी की कहानी भी अजीबो- गरीब थी। उसका रिश्ता बहुत छोटी सी उम्र में किसी परिजन के माध्यम से ...

सबा - 25

by Prabodh Kumar Govil
  • 2k

बिजली को लगभग पैंतीस मिनट का इंतज़ार करना पड़ा। जब मैडम आईं तो उन्होंने बिजली के अभिवादन का भी ...

थोड़ा और

by Anand Tripathi
  • 3.7k

जब तक हम सत्य जानते हैं। तब तक बहुत देर हो जाती है। यह आत्मा, इंद्रिय,मन कितने वज्र के ...

सबा - 24

by Prabodh Kumar Govil
  • 2k

"फीनिक्स" का अनुभव राजा के लिए अनोखा रहा। उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की गांव में ...

सबा - 23

by Prabodh Kumar Govil
  • 2.5k

देर तक तालियां बजती रहीं। पूरा हॉल मानो श्रोताओं के हर्षोल्लास से गूंज उठा। एक अतिथि तो यहां तक ...

सबा - 22

by Prabodh Kumar Govil
  • 2.5k

जब घर का ये बावेला थमा तो एक शाम छत पर बैठे- बैठे चमकी ने बिजली को घेर लिया। ...

मृत्यु की अतर्किकता

by Ankit kumar
  • 3.4k

मुझे पिछले कुछ ही दिनों में 2 सूचनाएं प्राप्त हुई जिन्होंने मुझे झकझोर कर रख दिया। वो सूचनाएं थी ...

ऐकले चलों रें, अकेले बढ़ो रें ..!

by Rudra Sanjay Sharma
  • 4.3k

लेखन परिचय - रिक्तत्व की सन्निकट प्रकटता हैं शरुप्ररा अर्थात् मेरी प्रत्येक शब्द प्राकट्यता, सत्य मतलब की अज्ञान के ...

सबा - 21

by Prabodh Kumar Govil
  • 1.9k

महिला आयोग के सदस्य दो भागों में बंट गए। अध्यक्ष और एक सहयोगी का कहना था कि किसी वयस्क ...

एक रात की दुल्हन...

by Saroj Verma
  • 5.2k

"कहाँ चले देवर जी? अरे! हमारा नेग तो देते जाइए",दीपाली ने अपने देवर सुबोध से कहा.... "भाभी! दोनों दीदियों ...

सबा - 20

by Prabodh Kumar Govil
  • 1.8k

नहीं, उन्हें टकलू कहना ठीक नहीं। टकलू तो हिंदी जगत में गंजे आदमी को कहते हैं। वो भी सम्मान ...

सबा - 19

by Prabodh Kumar Govil
  • 2k

राजा बार- बार ड्रेसिंग टेबल के सामने जाकर खड़ा होता और फ़िर ध्यान से अपनी शक्ल देख कर थोड़ी ...

सबा - 18

by Prabodh Kumar Govil
  • 2k

राजा ने बिजली को अपनी बांहों में लेकर भींच रखा था। बिजली की आंखें बंद थीं और उसे लग ...

सबा - 17

by Prabodh Kumar Govil
  • 2.1k

रास्ते भर बिजली कुछ न बोली। वह किसी कठपुतली की तरह साथ चलती रही। उसने अपने चेहरे को इस ...