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अपराध ही अपराध - भाग 22

by S Bhagyam Sharma

अध्याय 22 “क्या बोल रहे हैं?” “जिसके लिए आया था वह खत्म हो गया। जाते समय विस्तार से ...

अपराध ही अपराध - भाग 21

by S Bhagyam Sharma
  • 444

अध्याय 21 पिछला सारांश- धनंजयन को मिले सेकंड असाइनमेंट के लिए वह अपने दोस्त कुमार के साथ कीरनूर ...

अपराध ही अपराध - भाग 20

by S Bhagyam Sharma
  • 480

अध्याय 20 “मैं पर्सनल सेक्रेटरी हूं। वे अब बाहर जाने-आने, के स्थिति में नहीं हैं। इसीलिए वे अपनी ...

अपराध ही अपराध - भाग 19

by S Bhagyam Sharma
  • 471

अध्याय 19 पिछला सारांश- कीरानूर मंदिर से कृष्ण राज ने पहले पहले चुराई हुई मूर्ति को उसी जगह ...

अपराध ही अपराध - भाग 18

by S Bhagyam Sharma
  • 492

अध्याय 18 “अम्मा मत परेशान हो। धना अब एप्पल मोबाइल ही लेकर देगा। वही सब ठीक हो गया ना?” ...

अपराध ही अपराध - भाग 17

by S Bhagyam Sharma
  • 468

अध्याय 17 पिछला सारांश: अनाथालय में उस बच्चों को भेज दिया ऐसा बताया।’कार्तिका इंडस्ट्रीज के मालिक कृष्ण राज ...

अपराध ही अपराध - भाग 16

by S Bhagyam Sharma
  • 588

अध्याय 16 “फिर इसे?” “इसे किस मंदिर में से चोरी किया था, उस मंदिर में जाकर रखना है।” ...

अपराध ही अपराध - भाग 15

by S Bhagyam Sharma
  • 564

अध्याय 15 पिछला सारांश - कार्तिका इंडस्ट्रीज के संस्थापक कृष्णा राज के दिए पहले असाइनमेंट को सफलतापूर्वक धनराजन ...

अपराध ही अपराध - भाग 14

by S Bhagyam Sharma
  • 570

अध्याय 14 “ बोले तो अब ही सर, मैं आपको बहुत ही सम्मान देता हूं।” “मैं जो रुपए ...

अपराध ही अपराध - भाग 13

by S Bhagyam Sharma
  • 666

अध्याय 13 पिछला सारांश- कार्तिका इंडस्ट्रीज के मालिक कृष्णा राज के मनौती को पूरा करके, उनकी लड़की और उनके ...