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संक्षिप्त जीवन परिचय एस.भाग्यम शर्मा एम.ए अर्थशास्त्र.बी.एड. 28 वर्ष तक शिक्षण कार्य किया। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कहानियां प्रकाशित। तमिल कहानियों का हिन्दी में अनुवाद एवं विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, जैसे नवनीत, सरिता, कथा-देश, राष्ट्रधर्म, दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका, डेली न्यूज, मधुमती, सहित्य अमृत, ककसाड, राज. शिक्षा -विभाग की पत्रिका आदि। बाल-साहित्य लेखन, विभिन्न बाल-पत्रिकाओं में अनेक रचनाएं व कहानियां प्रकाशित, जैसे नंदन, बाल भास्कर, बाल हंस, छोटू-मोटू आदि।
# मोरल स्टोरीज़ स्पर्धा कुत्ते की पूंछ को कोई सीधा नहीं कर सकता एक शहर में एक मूर्ख रहता था । पर वह बहुत ही सुंदर था। पड़ोस के शहर में बहुत ही होशियार लड़की रहती थी।वह भी बड़ी ही सुंदर थीं। वह सिर्फ सुंदरता देख उस मूर्ख से शादी कर ली।फिर सच्चाई के पता चलते ही बहुत दुखी हुई। उसे सुधारने की बहुत कोशिश की परन्तु वह बिल्कुल भी नहीं सुधरा। एक दिन उस शहर में रामायण पर नाटक खेला जाना था। मैं अपने पति को सुधार नहीं सकी शायद इस नाटक को देख वह सुधार जाय, ऐसा सोचा उस लड़की ने। अतः उसे नाटक देखने भेजा। मूर्ख नाटक देखने गया। उसके जाने के पहले ही बहुत से लोग वहां जमा हो गए थे।अतः भीड़ में किनारे खडे लोगों के साथ खडे हो गया।। नाटक शुरू हो गया।तभी ठिगना एक आदमी नाटक देखने आया। ठिगना होने के कारण उसे कुछ भी दिखाई नहीं दिया। ठिगना अपने सामने खडे मूर्ख के कंधे को पकड़ कर उछल कूद कर देखा। मूर्ख ने कुछ नहीं कहा तो ठिगने ने दो तीन बार ऐसा ही किया। तब भी मूर्ख चुपचाप रहा। शैतान वह ठिगना कूद कर मूर्ख के कंधे पर बैठ गया। ठिगना आराम से पूरा नाटक देखा।नाटक के बाद ठिगना नीचें कूद कर भाग गया। मूर्ख अपने घर आया।"नाटक कैसा था?"।उसकी पत्नी ने पूछा। "उसे क्या पूछ रही है ;एक आदमी जैसे भारी था।"मूर्ख बोला। जो हुआ उसे समझ उसकी पत्नी समझ गई इस पति को सुधार नहीं सकते।ये सोच वह बहुत दुखी हुई। कुत्ते की पूंछ को कभी सीधा नहीं कर सकते।
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