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आखेट महल - 19

by Prabodh Kumar Govil
  • 357

उन्नीस यह सूचना मिलते ही सारे शहर में हर्ष की लहर दौड़ गयी। यह एक सप्ताह में रावसाहब ...

आखेट महल - 18

by Prabodh Kumar Govil
  • 867

अठारह गौरांबर ने देखा, प्लेटफॉर्म पर एक बेंच के पास छोटे-छोटे दो बक्से लिए और एक औरत चुपचाप ...

आखेट महल - 17

by Prabodh Kumar Govil
  • 990

सत्रह दिन गुजरते गये। आखेट महल प्रोजेक्ट का काम दिन दूनी, रात चौगुनी रफ्तार से परवान चढ़ता रहा। वहाँ ...

आखेट महल - 16

by Prabodh Kumar Govil
  • 1.4k

सोलह बाहर से आने वाले सुविधा और सुरक्षा की दृष्टि से एक साथ झुण्डों में रहना पसन्द करते थे। ...

आखेट महल - 15

by Prabodh Kumar Govil
  • 1.1k

पन्द्रह आखेट महल और उसके आसपास का इलाका धीरे-धीरे ऐसा आकार लेता जा रहा था कि उसे पहचान पाना ...

आखेट महल - 14

by Prabodh Kumar Govil
  • 987

चौदह बातें न जाने कब तक चलती रहीं। गौरांबर को यह भी पता न चला कि कब उसे गहरी ...

आखेट महल - 13

by Prabodh Kumar Govil
  • 1.2k

तेरह किसी बहुत पुराने खण्डहर से सटा एक मकान का जर्जर और अधबना हिस्सा था वह। आसपास की टूटी-फूटी ...

आखेट महल - 12

by Prabodh Kumar Govil
  • 831

बारह खेतों में ले जाकर काट के फेंक दें, कौन पकड़ने वाला है। साला हरामी, वो एक आदमी तो ...

आखेट महल - 11

by Prabodh Kumar Govil
  • 1.1k

ग्यारह शंभूसिंह के साथ गौरांबर उस दिन उसके गाँव में क्या आया, उसका तो मानो दूसरा जन्म ही हो ...

आखेट महल - 10

by Prabodh Kumar Govil
  • 885

दस ''खोल.. खोल.. खोलता है कि नहीं मुँह..।'' सिपाही जोर-से चीखा। और एक भरपूर तमाचा फिर उसके मुँह पर ...