prabha pareek की किताबें व् कहानियां मुफ्त पढ़ें

महारानी

by prabha pareek
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महारानी काली कलूटी महारानी के आगे रूपसी नीता हमेशा दबी रहती। घर में रौब चलता उसका....नीता सुबह उठ कर ...

एक भयानक चेहरा ये भी

by prabha pareek
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भयानक चित्र यह भी देवदत्त एक साधारण व्यक्ति था। आज के कुछ वर्षो पहले भी वह कूंची का धनी ...

रंगों भरी होली

by prabha pareek
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रंगों भरी होली त्योहार चाहे कोई भी क्यों न हो, हमारे बुजुर्गों का भी मन मचलता है कि वह ...

समर्पण

by prabha pareek
  • 1.9k

समर्पण तृप्ति आखिर पहुंच ही गई उस घर के दरवाजे तक| राज्य परिवहन की बस से उतरते समय ...

उसका नया साल

by prabha pareek
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उसका नया साल साहित्य सम्मान समारोह में मेरा उससे मिलना हुआ था। वह अलग थलग सी रहने वाली बगावत ...

अहसान

by prabha pareek
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अहसान कस के बांधे गये बालों का जूड़ा, क्या मजाल एक बाल भी दिन भर में इधर से उधर ...

सावन की तीज

by prabha pareek
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सावन की तीज सुहाना मौसम और बारिश की पड़ती रिमझिम फुहार के बीच जब कभी सौरभ का फोन अमरीका ...

कान्हा हमारा

by prabha pareek
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कान्हा हमारा आज सुबह प्रफुल्लित मन से उठी,रात सोते समय ही सोच लिया था, कल काकाजी से जरूर बात ...

राम नाम की ओषधि काटत सभी क्लेश

by prabha pareek
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राम नाम की औषघि काटे सभी कलेश गौस्वामी तुलसी दास जी कहते हैं कि मनुष्य का तन शरीर खेत ...

सुरभी बुआ

by prabha pareek
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सुरभी बुआ रसोई में चूल्हे के सामने बैठी सुरभी बुआ ....और मैं, बस बुआ को ताक रही थी। कुछ ...