'बंद दरवाज़ों का शहर' मेरे लिए तब खुला जब पूरी तरह से शहर के दरवाज़े बंद थे । पर ...
पाती प्रेम की मेरे प्रिय ! ' मेरे ' …..,कितना अच्छा लग रहा है मुझे कि किसी को ...
सुनो मीता !मैंने कितने ख़्वाब बुने थे तुम्हारे साथ ,हर ख्वाब का एक एक धागा प्यार के रंग में ...
आज साँची गंगा तलाव मे पाँव डाले विचारों की लहरों में डूबती उतराती जा रही थी ।गंगा तलाव मॉरीशस ...
देवास की वीराप्रकृति और मन दोनों एकाकार हो रहे थे ,बाहर बादलों का गर्जन और मन के भीतर असहनीय ...
कितने दिन हो गए हैं घर से बाहर निकले । रोज़ सुबह घर का काम ,नाश्ता खाना ,साफ सफाई ...