किशोर मनोविज्ञान को उकेरती यह कहानी पुरुष सत्तात्मक समाज के दोहरे मापदंडों को उजागर करती है । बिना लाउड ...
और मैं जा पहुंचा जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में . पहुँचते ही मैनें मेडिकोलीगल रजिस्टर के पन्ने पलटे. ...
हां भाई फैजाबाद! मगर कोई न बोला तो कन्डक्टर ताव खाता बोल पड़ा , बोलते क्यों नही किसका टिकट बाकी है ...