लघुकथा- अक्स बरक्स********************"अरे शीलू क्या कर रही है घर पर, तू बोर नहीं होती, आ बैठते हैं बात करते ...
लघुकथा - गले की फाँस" सुनते हो ! ऑफिस जाने से पहले तीन हजार रुपये ए टी एम से ...
एकाकी कौशल्या जी को गुजरे अभी दस दिन भी न हुए थे कि उनके तीनों बच्चों मे उनकी चीजों ...
मेदिनीचूल्हे को फुँकनी से फूँक कर जलाती हुई सिया अपने पल्लू से बार - बार आँखों को पोंछती जाती ...
रानो आज फिर देर से आयी।कारण पूछने पर भड़क उठी । " का बहू जी , हमहूं मनई हैं ...
मुफ़लिसी से जंग - लघुकथा***************************कई दिनों बाद आज कलुआ अपने घर से निकला । ठेले को जंजीरों से मुक्त ...