AKANKSHA SRIVASTAVA की किताबें व् कहानियां मुफ्त पढ़ें

अंग्रेजियत पर हिंदी दिवस का कटाक्ष

by AKANKSHA SRIVASTAVA
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हिंदी को वनवास दे दिया,अंग्रेजी को राज हम हिंदुस्तानियों ने सत्तर साल में कैसा गढ़ दिया समाज , बदल ...

पोषम्पा

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पोषम्पा भई पोषम पा,सौ रुपये की घड़ी चुराई दो रुपये की रबड़ी खाई,अब तो जेल में जाना पड़ेगा। जेल ...

होमवर्क

by AKANKSHA SRIVASTAVA
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उफ़्फ़फ़फ़ ये होमवर्क!कैसे भूल जाती हूं मैं गुड्डी को होमवर्क कराना। सुबह- सुबह ही दिन खराब हो गया। ऊपर ...

कलमकार हूँ 

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"मैं एक खुली किताब हूँ तुम जितना मुझे पढ़ोगे पन्नों की तरह तुम मुझमे सिमटते जाओगे हा मैं ...

क्या मर्द को भी दर्द होता हैं

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रात के करीब तीन बजे ही रहे होंगे तभी कमरे के बाहर कुछ आहट सी हुई ...नीद टूटी,ओर चारपाई ...

हर करम अपना करेंगे, ए - वतन तेरे लिए

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" यहां सदियों से ये रीत है जी हर डर के आगे जीत है जी, हम रक्षक है इस ...

काशी के गोकुल धाम

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नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैयालाल की.... https://youtu.be/5f4cLVn9pKo छैल छबीला,नटखट,माखनचोर, लड्डू गोपाल,गोविंदा,जितने भी नाम लिए जाए सब कम ...

बिन साजन ना भावे सावन

by AKANKSHA SRIVASTAVA
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काले बदरे ,ओर रिमझिम फुहार...मोर के पंख सावन के झूले,गरजते बादलों में आपसी बातचीत ओर तुम ओर मैं।क्या तुम ...

एक लड़की भीगी भागी सी

by AKANKSHA SRIVASTAVA
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टिंग टॉन्ग घर की कॉल बेल अपनी रफ्तार में लगातार बज रही थी, दरवाजे के उस पार से आवाज ...

वो बारह घण्टे का पसीना

by AKANKSHA SRIVASTAVA
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जमीन जल चुकी आसमा बाकी है सूखे हुए कुएं तुम्हारा इम्तिहान बाकी है, ऐ- बादल बरस जाना इस बार ...