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कंचन मृग - 16. जौरा यमराज को भी कहते हैं

by Jitesh Pandey

16. जौरा यमराज को भी कहते हैं सायंकाल महाराज जयचन्द ने मंत्रिपरिषद के सदस्यों से विचार-विमर्श प्रारम्भ किया। जयचन्द ...

उजाले की ओर –संस्मरण

by Pranava Bharti

================== यादों के झरोखे से खिलती, खुलती झरती हँसी हमें रोते हुओं को भी अचानक मुस्कान में तब्दील कर ...

शोहरत का घमंड - 62

by shama parveen
  • 147

आलिया के पापा बोलते हैं, "तुम ये क्या बोल रही हो, तुम कोन सा काम करोगी अब, तुमने तो ...

एडोप्टेड फैमिली

by bhagirath
  • 255

“जानते हो पापा आजकल किसी के चक्कर में फंस गए है।” “अच्छा! किसके चक्कर में?” “कोई बाल बच्चेदार महिला ...

किस्से - कहानियां

by दिनेश कुमार
  • 261

1. गांठ रिश्तों की "पापा! ताईजी को शायद कैंसर है!" बेटा धड़धड़ाते हुए कमरे में घुसा."कहां से चले आ ...

शोहरत का घमंड - 61

by shama parveen
  • 372

अरुण आर्यन से बोलता है, "भाई अब क्या हुआ है जो तूने मुझे इतनी सुबह सुबह बुलाया है"।तब आर्यन ...

कंचन मृग - 15. उद्विग्न नहीं, सन्नद्ध होने का समय है

by Jitesh Pandey
  • 267

15. उद्विग्न नहीं, सन्नद्ध होने का समय है उदयसिंह का मन अब भी अशान्त था। शिविर के निकट ही ...

प्यारी बेटी

by दिनेश कुमार
  • 423

प्यारी बेटी (बेटी है तो कल है) किसी गाँव में एक परिवार रहता था। उस परिवार में गणेश अपनी ...

MY HERO - 7

by shama parveen
  • 486

Hello Everyone...... केसे है आप सब, उम्मीद करती हूं की अच्छे होंगे।आज हर कोई डिजिटल या कहे इंटरनेट की ...

वर्तमान का सिख पंथ ही क्षत्रिय रुपरेखा

by Ritin Rajput
  • 330

क्या आपको मालूम है कि पहला खालसा राज स्थापित करने वाले बाबा बंदा सिंघ बहादर जी राजपूत थे, आधुनिक ...

सर्कस - 8

by Madhavi Marathe
  • 372

सर्कस : ८ घर में कदम रखते ही सबके जिज्ञासा भरे सवाल शुरू हो गए। मुझे भी ...

कंचन मृग - 13-14. मेरी यात्रा को गोपनीय रखें

by Jitesh Pandey
  • 405

13. मेरी यात्रा को गोपनीय रखें-मध्याह्न भोजन के पश्चात महाराज जयचन्द अलिन्द से निकलकर उद्यान का निरीक्षण कर रहे ...

शोहरत का घमंड - 60

by shama parveen
  • 519

अपनी मॉम की बाते सुन कर आर्यन अपनी मॉम की तरफ देखने लगता है।तब आलिया बोलती है, "नही नही... ...

कौन थे प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह

by Ritin Rajput
  • 528

10 नवंबर 1990 को कार्यभार संभालने के 12 दिनों के ही भीतर चंद्रशेखर पांचवे सार्क शिखर सम्मेलन में भाग ...

शोहरत का घमंड - 59

by shama parveen
  • 603

आलिया के जानें के बाद कुछ देर तक अबीर वही पर खड़ा रहता है और आर्यन की बातो के ...

कंचन मृग - 11-12. अब वे अकेले हो गए हैं

by Jitesh Pandey
  • 492

11. अब वे अकेले हो गए हैं- प्रातः लोग तैयारी कर ही रहे थे कि शिशिरगढ़ से पुरुषोत्तम कुछ ...

उजाले की ओर –संस्मरण

by Pranava Bharti
  • 456

================== स्नेहिल नमस्कार मित्रो! आशा है, आप सब आनंद में हैं । मेरी सोसाइटी काफ़ी बड़ी सोसाइटी है जिसमें ...

कंचन मृग - 9-10. विश्वास नहीं होता मातुल

by Jitesh Pandey
  • 567

9. विश्वास नहीं होता मातुल आल्हा प्रस्थान का निर्देश दे ही रहे थे कि माहिल आते दिखाई पड़ गए। ...

शोहरत का घमंड - 58

by shama parveen
  • 759

अपनी मॉम की बात सुन कर आर्यन चोक जाता हैं और बोलता है, "मॉम आप ये क्या बोल रही ...

सर्कस - 7

by Madhavi Marathe
  • 528

सर्कस : ७ रोज की तरह, आदत के नुसार पाँच बजे नींद खुल गई। उठकर खिडकियाँ ...

कंचन मृग - 8. हर व्यक्ति चुप है

by Jitesh Pandey
  • 513

8. हर व्यक्ति चुप है- चन्द्रा मुँह ढाँप बिस्तर पर पड़ी है। चित्रा पंखा झल रही है। चित्रा चन्द्रा ...

कंचन मृग - 7. यह क्या हो गया दीदी ?

by Jitesh Pandey
  • 711

7. यह क्या हो गया दीदी ? दशपुरवा में आल्हा की बैठक में भारी भीड़ है। सभी अपने-अपने ढंग ...

शोहरत का घमंड - 56

by shama parveen
  • 1.1k

आर्यन की बात सुन कर सभी चोक जाते है तभी आर्यन की मॉम बोलती है, "तुम क्या करोगे एक ...

कंचन मृग - 6. हमें थोड़े करवेल्ल चाहिए

by Jitesh Pandey
  • 696

6. हमें थोड़े करवेल्ल चाहिए-नगर के एक मार्ग पर अयसकार रोहित जा रहा था। दूसरी ओर से एक व्यक्ति ...

उजाले की ओर –संस्मरण

by Pranava Bharti
  • 567

====================== स्नेहिल नमस्कार मित्रों आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप सबकी होली खूब रंग-बिरंगी व उल्लासपूर्ण वातावरण ...

क़िस्सा 1930 का

by Wajid Husain
  • 549

वाजिद हुसैन की कहानी 12 मार्च 1930 को एक यात्रा शुरू हुई थी। एक ऐसी यात्रा जिसने सारी दुनिया ...

कंचन मृग - 5. सत्ता को कभी-कभी निर्मम होना पड़ता है

by Jitesh Pandey
  • 726

5. सत्ता को कभी-कभी निर्मम होना पड़ता है- महारानी मल्हना मूर्च्छित हैं। सेविकाएं उन्हें सँभालने का प्रयास कर रही ...

कंचन मृग - 4. माई साउन आए

by Jitesh Pandey
  • 894

4. माई साउन आए- बारहवीं शती का उत्तरार्द्ध। महोत्सव वास्तव में उत्सवों का नगर था। नर-नारी उल्लासमय वातावरण का ...

सर्कस - 6

by Madhavi Marathe
  • 891

सर्कस : ६ सुबह जब मैं नींद से जगा, तो आँगन में पेडों की डालियों पर खिले ...

बन्धन प्यार का - 23

by किशनलाल शर्मा
  • 867

शौहर के साथ घूमते समय उसे ऐसा लगा था सचमुच रात को उसने सच बोला था।दोस्तो ने पार्टी में ...