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जिंदगी के रंग हजार - 10

by किशनलाल शर्मा

तुम बिन जिया न जाए

by दिनेश कुमार

1.मरीज हो अगर दिल के तो कर लो इश्क..क्योंकि धड़कना दिलों को सिखा देता है इश्क...!!2.मुनाफा का तो पता ...

मेरी कलम ही मेरी पहचान है

by दिनेश कुमार
  • 313

1.मेरी बेचैनी का आलम मेरी बेचैनी से पूछो..मेरे चहरे से पूछोगे कहेगा ठीक है सब कुछ..!!2.सफलता का मुख्य आधार..सकारात्मक ...

नन्हा बच्चा

by दिनेश कुमार
  • 522

1.एक बार एक नन्हा बच्चा दोपहर में नंगे पैर फूल बेच रहा था। लोग मोलभाव कर उससे फूल ख़रीद ...

मां कब आयेगी - भाग 1

by Dr.Dixit
  • 855

राधे राधे सभी को आज मैं ये कहानी एक छोटी सी नन्ही सी प्यारी लड़की के बारे में लिख ...

दिल के जज़्बात

by दिनेश कुमार
  • 447

1."तुझे देखते ही बहक जाते है हम""कहना कुछ होता है कह कुछ जाते है हम"2.कहाँ किसी के लिए है ...

एक किताब सी जिन्दगी मेरी

by दिनेश कुमार
  • 477

1.एक किताब सी जिंदगी मेरी..!एक खुली किताब सी है ये जिंदगी मेरी.जिस पर कहीं खुशी के पल,तो कहीं गम ...

जो दिल कहें

by दिनेश कुमार
  • 414

1.अपनी उलझन को बढ़ाने की जरूरत क्या है।छोड़ना है तो बहाने की जरूरत क्या है। लग चुकी आग तो ...

अनजाने एहसास

by दिनेश कुमार
  • 459

1.नज़राना मोहब्बत काअपने महबूब को क्या दूंजो ख़ुद बेशकीमती है मेरे लियेमैं उसे तोहफ़ा क्या दूंइश्क़ की किताब परसिर्फ ...

अनकही दास्तां

by दिनेश कुमार
  • 534

1.इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए,आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए।अपनी यादों से कहो इक ...

लम्हें जिन्दगी के

by दिनेश कुमार
  • 636

1.याद हम ज़्यादा और वो कम करते हैफिर भी वो कहते है कि प्यार वो ज़्यादा और हम कम ...

जीवन एक संघर्ष है

by दिनेश कुमार
  • 504

1.पत्तों सी हो गई है हर रिश्तों की उम्रआज हरे कल पीले तो परसों सूखे2.जीने वालो से भी पूछो ...

काश कोई तो अपना होता

by दिनेश कुमार
  • 648

1. एहसासतेरी चाहत भूल गयी है जीवन को महकाना अबमेरी भी इन तस्वीरों ने छोड़ दिया शरमाना अबजो इक ...

जिंदगी के रंग हजार - 9

by किशनलाल शर्मा
  • 684

पत्नी की डिलीवरी पर मैं काफ़ी परेशान रहा था।और पत्नी की ऑपरेशन से डिलीवरी हुई थी।पत्नी को एक महीने ...

अंखियों के झरोखों से

by दिनेश कुमार
  • 711

1.शहंशाह की तरह जीते थे कुछ साल पहले हम भीएक लड़की क्या आई जिंदगी में मेरी दुनिया तबाह कर ...

कोई तुमसा नहीं

by दिनेश कुमार
  • 678

1.इस सम्पूर्ण सृष्टि केसमस्त अनुबंधों से परेमेरे प्रेम की पराकाष्ठा सिर्फ तुम हो ,सिर्फ तुम ।लिप्त रही मैं सदा ...

कुछ अनकही ख़ामोश यादें

by दिनेश कुमार
  • 615

1.ये क्या कह दिया तुमने..फुरसत हो तो..??मेरा हर लम्हा....बस तुम्हारा हैपढ़ा है... हर रात तुम्हे..देखा है.. सुना हैहर पल.. ...

मुस्कान

by दिनेश कुमार
  • 801

1.ये नरम लहजा प्यारी बातें तेरे लिए है,हम इस लहजे में सब से बात नहीं करते...2.तुमने पूछा था ना ...

कुछ अनकही बातें दिल से

by दिनेश कुमार
  • 1k

1.तेरी एक झलक पाने को तरस जाता है दिल मेरा,खुश किसमत है वो लोग जो तेरे घर के सामने ...

वक्त के साथ मेरे एहसास

by दिनेश कुमार
  • 1k

1.बगैर उसको बताए निभाना पड़ता है,ये इश्क राज है इसे छुपाना पड़ता है...2.तुमसे मिलकर ये हसरत ए मुलाकात रह ...

तुम मेरे हो मेरे ही रहना

by दिनेश कुमार
  • 919

1.रूह भी तू सुकून भी तूइबादत भी तू जन्नत भी तूखामोशी भी तू अल्फाज़ भी तूइश्क़ भी तू जिन्दगी ...

सजना साथ निभाना

by दिनेश कुमार
  • 696

1.कौन है जिसको नज़रों में फिर छुपाने लगी हो लोग कहते है ग़ज़ल तुम भी मुस्कुराने लगी होफिर मोहब्बत ...

सामूहिक सेवा से व्यक्तिगत लाभप्रदता तक

by Gunavathi Bendukurthi
  • 807

सामूहिक सेवा से व्यक्तिगत लाभप्रदता तकः आज के आर्य समाज की लुप्त होती गौरवशाली कहानी डॉ. गुणवती बेन्दुकुर्थी ...

फूलों की ख़ुशबू

by दिनेश कुमार
  • 849

1.मिला दिल, मिल के टूटा जा रहा हैनसीबा बन के फूटा जा रहा है..दवा-ए-दर्द-ए-दिल मिलनी थी जिससेवही अब हम ...

गर्मियों में भी खिलें फूल

by Shakuntala Sinha
  • 1.5k

गर्मियों में भी खिलें फूल रंग बिरंगे फूल सब को भाते हैं और अपनी ओर आकर्षित करते हैं . ...

झरने की खुशबू

by दिनेश कुमार
  • 681

1.न जाने किस तरह का इश्क कर रहे हैं हमजिसके हो नहीं सकते उसी के हो रहे हैं हम2.मुझे ...

सामूहिक सेवा से व्यक्तिगत लाभप्रदता तक

by GUNAVATHI BENDUKURTHI
  • 1.1k

सामूहिक सेवा से व्यक्तिगत लाभप्रदता तकः आज के आर्य समाज की लुप्त होती गौरवशाली कहानी डॉ. गुणवती बेन्दुकुर्थी ...

काव्य लता

by दिनेश कुमार
  • 561

1.मेरी यादें मेरा चेहरा मेरी बातें रुलायेंगीहिज़्र के दौर में गुज़री मुलाकातें रुलायेंगीदिनों को तो चलो तुम काट भी ...

दिल की आवाज़

by दिनेश कुमार
  • 780

1.तुम्हेँ गले से लगाने के बाद आया हैसुकून कितने ज़माने के बाद आया है2.ख्वाहिश इतनी है कि कुछ ऐसा ...

नयी सुबह

by दिनेश कुमार
  • 756

1.किसी ने मुझसे पूछा,सच सबसे गहरा क्यों ?आखिर उस पर इतना पहरा क्यों ?मेने बस इतना कहा,क्युकी सच सबसे ...