Rohit Kumar Singh की किताबें व् कहानियां मुफ्त पढ़ें

सातवां आसमान

by Rohit Kumar Singh
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सुरेश थापा आजकल सातवें आसमान पर रहता था,यूं तो वो अपनी बिल्डिंग मे पिछले दो सालो से वाचमैन था,रहने ...

धर्मी कर्मी

by Rohit Kumar Singh
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सूरज बाबू घबरा के उठ बैठे,उन्हें भूख भी लग रही थी,और कुछ अजीब सी महक भी आ रही थी,जो ...

इम्पोर्टेड लिपिस्टिक

by Rohit Kumar Singh
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रेणू कोअपने पति रमेश के साथ बंबई मे रहते अब पांच साल से भी उपर हो चुके थे,पर अभी ...

व्यापारी

by Rohit Kumar Singh
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रवि कुमार सरावगी ग़मगीन बैठा था,अपनी विशालकाय कुर्सी मे अपनी एक हथेली कुर्सी की पुश्त से टिका कर किसी ...

राष्ट्रीय पुरस्कार

by Rohit Kumar Singh
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उसे बडा गुस्सा आता,मन ही मन वो आग बबूला हो उठता था,जब उसकी पत्नी या जवान बच्चे उसे बेरोजगार ...

हां, मैने ये अपराध किया है।

by Rohit Kumar Singh
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जौनी ने अपना सर धीरे धीरे उपर उठाया,और अपनी आंखे झुका कर उसने कुबूल किया कि,"हां,मैने ये अपराध किया ...

एक नया शब्द,और क्या?

by Rohit Kumar Singh
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मनोरमा देवी किसी भी तरह से पैसो की हैसियत में मिसेज रुमी चढ्ढा से कम ना थी,और किसी भी ...

लंच टाईम

by Rohit Kumar Singh
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निरंजन चौधरी 50 के लपेटे मे आये हुये इन्सान थे,और कोई 22 बरस हो गये थे उन्हें अपनी स्टील ...

मै जि़न्दा हूं, चाचा

by Rohit Kumar Singh
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मेरे जूते के सोल की सिलाई उधड गयी थी,ढूंढते हुये मै एक मोची के पास पहुंचा,और मोल भाव करके ...

पठान चाचा

by Rohit Kumar Singh
  • 4.5k

रहा हुंगा मै शायद कोई दसेक साल का,ये तब की हमारे मुहल्ले की बात है,हमारे मुहल्ले की पब्लिक खास ...