Pratap Singh की किताबें व् कहानियां मुफ्त पढ़ें

झूट कहूँ तो

by Pratap Singh
  • 7.5k

मिल तो जाएंगे न!" चावला जी ने अपने खोये पिता जी के बारे में पूछते हुए बंगाली बाबा से ...

प्रभु दयालु है

by Pratap Singh
  • 5.8k

"चल जल्दी उठ!""सोने दो न माँ!"देख खुशी भी तैयार हो गयी, चल उठ जल्दी!""नहीं! जल्दी उठ...चर्च जाना है।"इस बार ...

मोक्ष

by Pratap Singh
  • 8.3k

आस-पास के चालीस गावों के सबसे बड़े जमींदार उदय प्रताप के यहां बहुत बड़ा यज्ञ हो रहा था।। बाहर ...

आसमानी गुलाब

by Pratap Singh
  • 9k

"न जाने... हम फिर मिल पाएंगे भी या नहीं!" जन्नत कमल के गले लग रोते हुए बोली।"तुम एक ...

कच्ची अमिया

by Pratap Singh
  • 6k

कच्ची अमिया"मैडम वो अभी लौट कर आने वाले ही होंगे। आप चिंता न करें।" पेट्रोल पंप के कर्मी उस ...

मालिक...The GOD

by Pratap Singh
  • 6.9k

मालिक“ए मालिक तेरे बंदे हम.. ऐसे हो हमारे करम….। घर पर तेज़ आवाज में रेडियो पर बज रहे गाने ...