Neerja Hemendra की किताबें व् कहानियां मुफ्त पढ़ें

पथ से गन्तव्य तक

by Neerja Hemendra
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मेरी सेवानिवृत्ति में अब मात्र एक वर्ष ही तो शेष रह गये हैं। जीवन के विगत् सत्ताइस वर्ष ऐसे ...

दुर्गी

by Neerja Hemendra
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उसके हाथ-पैर काँप रहे थे। हाथ-पैर ही नही, पूरा शरीर काँप रहा था...... । स्वर तीव्र होते-होते गले में ...

व्यवस्था

by Neerja Hemendra
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’’ उफ््फ कितनी व्यस्तता ! घर के सारे काम बाकी हैं और मैं अभी से थक गयी। ’’ घर ...

कुछ भी न कहो

by Neerja Hemendra
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शाम गहराने लगी थी। वह दुपट्टे से सिर को ढ़के हुए तीव्र गति से अपने कदम बढ़ा रही थी। ...

रेत की दीवारें

by Neerja Hemendra
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आज भी मैं प्रातः सबसे पहले उठना चाह रही थी, किन्तु न जाने कैसे आँखें लगी रह गयी। अक्सर ...

खोल दो खिड़कियाँ

by Neerja Hemendra
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कोलेज कैंपस में प्रथम दिन। इण्टरमीडिएट उत्तीर्ण करने के पश्चात् मन में एक नयी उमंग नये कोलेज में जाने ...

.......और एक दिन

by Neerja Hemendra
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आज वह अत्यन्त प्रसन्न थी। प्रातः समय से पूर्व उठ गयी। दैनिक कार्यों को कर समय से काफी पहले ...

तुम्हारे लिए

by Neerja Hemendra
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हमारे जीवन में गति हो या न हो, कोई परिवर्तन हो या न हो, हम चलें या न चलें, ...

समय के पन्नों पर

by Neerja Hemendra
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राममूर्ति जी आज कार्यालय आये तो, आते ही उन्हे उनके स्थानान्तण की सूचना मिली। आज से कार्यालय में उन्हें ...

अमलतास के फूल - 15 - अंतिम भाग

by Neerja Hemendra
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उसके बाद उसकी समझ में कुछ नही आ रहा है कि वह क्या कर,े क्या न करे, ...