दशरथ पढ़ा लिखा वहीं तक था, जहाँ तक कि कुछ लिखा पढ़ सके। दशरथ का बचपन बहुत हिंज्यादा गरीबी ...
"हेलो तुम दुखी हो....?" आइशा ने अवनीश से पूछा।"हाँ बहुत ज्यादा...!" बहुत ही भारी गले से अवनीश ने उत्तर ...
यह किताब हमारे मूढ़ समाज की एक संकीर्ण सोच का मुकुर है।