हम खुद लगते हैं रेलवे ट्रैक और वक्त के साथ भागती हुई हमारी जिंदगी रेलगाड़ी।चलती तो रफ्तार से ही ...
सांवरी : दीदी मैं आज विराज को सारी सच्चाई बता दूंगी ... मुझे भी अच्छा नहीं लगता आखिर कब ...
खुद के एहसासों को कुछ इस तरह बिखेरना चाहती हूमैं रहूं तुझमें और खुद को खोने के बाद भी ...
अगले दिनअदिति किचेन का सारा काम समेट कर .... सोचा आज रिवान जी का अलमीरा साफ कर दूं !!सारा ...
अदिति और सांवरी जी मार्केट गई , मार्केट से आने के बाद घर के सांवरी अंदर आती है तो ...
सुबह के वक़्त था विराज जॉगिंग से रिवान के साथ वापसआया । विराज जल्दी तैयार हो जाना हमें आज ...
मैने सिर्फ सुना था आज तक लेकिन आज पहली बार महसूस भी हुआ है .....दिल में बेचैनी और कुछ ...
ना उम्मीदी से शुरू हुआ रिश्ताप्यार से शुरू होकर मेरे आंसुओं पर खत्म हो गई....पता नहीं क्या चाहता था ...
एक महीने बाद _____________अरुण मित्तल को छोड़ कर सभी घरवाले बात करते हुए चाय की चुस्की ले रहे होते ...
अदिति आश्चर्य से बोली ' क्या हुआ मां ऐसा क्या गलती कर दिया मैंने ? ' कल - पड़सो ...