Kanupriya Gupta की किताबें व् कहानियां मुफ्त पढ़ें

देहगंध

by Kanupriya
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उसने इत्र की शीशी अपने दाहिने हाथ में ली और अपने बाएं हाथ की तरफ धीरे से बढ़ा दी ...

जासूसी का मज़ा भाग 6 (अंतिम)

by Kanupriya
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रात भर करवटें बदलने और खुद से ही माथापच्ची करने बाद जब सीमा जी उठी तो उनकी आँखे गुलाब ...

जासूसी का मज़ा भाग 5

by Kanupriya
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चौधरी कार्ड का फोटो खीचकर बाद में अच्छे से देखने का मन बनाए बैठे थे और मान बैठे थे ...

जासूसी का मज़ा भाग 4

by Kanupriya
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चौधरी जी थोड़ी देर बाद घर वापस आए तो क्या देखते है चौधराइन सर पर चुन्नी बांधे एक हाथ ...

जासूसी का मज़ा भाग 3

by Kanupriya
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बैठक में से चौधरी जी की आवाज़ आई "सुनती हो ज़रा बाहर का चक्कर लगाकर आते है" ये कहकर ...

जासूसी का मज़ा भाग 2

by Kanupriya
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पार्ट - २ अब तक आपने पढ़ा की “द इगल “ मटर कचोरी और हलवे की खुशबु से महक ...

जासूसी का मज़ा भाग -1

by Kanupriya
  • (4.9/5)
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रसोई से सुबह सुबह आती कचोरी और हलवे के घी की खुशबू किसी खास अवसर के होने की गवाही ...