Ibne Safi की किताबें व् कहानियां मुफ्त पढ़ें

चमकीला बादल - 16 - अंतिम भाग

by Ibne Safi
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(16) "यह बात तो समझ में आ गई लेकिन अभी तक यह नहीं समझ पाया हूं कि आखिर मैं ...

चमकीला बादल - 15

by Ibne Safi
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(15) "तुम मुझे चकित कर रहे हो।" औरत ने कहा। राजेश मौन रहा फिर दोनों गुफा से बाहर निकले। ...

चिराग का ज़हर - 20 - अंतिम भाग

by Ibne Safi
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(20) “हमें नीलम हाउस चलना चाहिये । मामिले वहीं तै हो सकते हैं-" नूरा ने कहा, फिर फरामुज जी ...

चमकीला बादल - 14

by Ibne Safi
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(14) अचानक राजेश ने महसूस किया कि उसके निकट कोई और भी मौजूद है। उसने गर्दन मोड़ी और एकदम ...

चिराग का ज़हर - 19

by Ibne Safi
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(19) उसे विदा करके विनोद उसी मनहूस कमरे में आया और दरवाजा अन्दर से बन्द कर लिया। यहाँ के ...

चमकीला बादल - 13

by Ibne Safi
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(13) जैसे ही वार्ता समाप्त करके कैप्टन बगासी ने फाउंटेन पेन जेब में रखा वैसे ही मेकफ ने उस ...

चिराग का ज़हर - 18

by Ibne Safi
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(18) "चलिये- विनोद ने कहा और पूरी पार्टी सर्वेन्ट क्वार्टर को ओर चल पड़ी। एस० पी० और विनोद सब ...

चमकीला बादल - 12

by Ibne Safi
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(12) पोरशिया सिंगिल्टन मेज पर झुकी हुई एक नक्शे को बड़ी तन्मयता से देख रही थी। अचानक किसी ने ...

चिराग का ज़हर - 17

by Ibne Safi
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(17) जल्दी जल्दी पूरी इमारत को सफाई हुई। फरामुज जी के सेक्रेटरी तथा आफिस के कर्मचारियों को फोन करके ...

चमकीला बादल - 11

by Ibne Safi
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(11) राजेश, जेम्सन, मेकफ और कैप्टन बगासी मवानजा पहुंच चुके थे। और जोली को खोजते फिर रहे थे। बगासी ...