harshad solanki की किताबें व् कहानियां मुफ्त पढ़ें

तुम मुझे इत्ता भी नहीं कह पाये? भाग - 8 अंतिम

by harshad solanki
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कुछ देर बाद अपने अपने हाथों में कोफ़ी के प्याले लिए दोनों चुपचाप खड़े थे. लाल चुनर ओढ़े धरती ...

तुम मुझे इत्ता भी नहीं कह पाये? भाग - 7

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कोलेज काल में जहां अन्य लड़कों का ज्यादातर वक्त लड़कियों के पीछे और लड़कियों का वक्त लड़कों के पीछे ...

तुम मुझे इत्ता भी नहीं कह पाये? भाग - 6

by harshad solanki
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मेडम राहुल के साथ दोस्त की तरह ही बर्ताव कर रही थी और राहुल भी उसे काफी रिस्पेक्ट देता ...

तुम मुझे इत्ता भी नहीं कह पाये? भाग - 5

by harshad solanki
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पर उसके यह आनंद भरे दिन बहुत लम्बे न चले. ऐसे ही तीन चार हप्ते बीत गए और पुरानी ...

तुम मुझे इत्ता भी नहीं कह पाये? भाग - 4

by harshad solanki
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ऐसे ही कई दिन गुज़र गए. किसी वजह से एक मंडे की एक्स्ट्रा छुट्टी के बाद राहुल अगले ट्यूसडे ...

तुम मुझे इत्ता भी नहीं कह पाये? भाग - 3

by harshad solanki
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"ओह! सोरी मेडम..." माफ़ी माँगते हुए राहुल ने शर्म से अपनी नज़रें दूसरी और घुमा ली. मेडम को यूँ ...

तुम मुझे इत्ता भी नहीं कह पाये? भाग - 2

by harshad solanki
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दो तीन दिनों से उसके दिल में अजीब सी फिलिंग हो रही थी. बिना किसी वजह के कभी उसके ...

तुम मुझे इत्ता भी नहीं कह पाये? भाग - 1

by harshad solanki
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चोरी से जब दिल चुरा ले जाता है कोई; चुपके से जब अपना बना ले जाता है कोई; दूर ...

ट्रेन डकैती! भाग 4 अंतिम

by harshad solanki
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अब उन्हें ट्रेन के उस डिब्बे में घुसने की योजना बनानी थी. उनके पास यह तो पक्की जानकारी थी ...

ट्रेन डकैती! भाग 3

by harshad solanki
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रेलवे पुलिस और क्राइम ब्रांच के अधिकारी पुरे दो साल तक इस केस में अपनी खोपड़ी खपाते रहे पर ...