डिम्पल गौड़ की किताबें व् कहानियां मुफ्त पढ़ें

पराई

by Dimple Gaur
  • 6.6k

मायके आए हुए मुझे पूरे दस दिन हो चुके थे.पति विशाल से फोन पर बातचीत करने के बाद उठी ...

अरदास

by Dimple Gaur
  • 7.7k

गंगा घाट की सीढ़ियों पर बैठी नयनतारा जीवन के विगत पलोंको आँखों में भर बहती गंगा की धारा को ...

रिश्ते

by Dimple Gaur
  • (4.6/5)
  • 4.7k

"अब नहीं जाऊँगी,कहे देती हूँ !" आते ही अपना पर्स पलंग पर फेंकते हुए चित्रा चिल्ला उठी ।" आखिर ...

हम भी अधूरे..तुम भी कुछ आधे

by Dimple Gaur
  • 5.4k

तेज कदम बढ़ाते हुए विशाखा सूनी सड़क पर चली जा रही थी। सड़क किनारे लगे कतारबद्ध अशोक के वृक्ष ...

अंत

by Dimple Gaur
  • 6.7k

अंत संकरे रास्ते से होते हुए आखिर मैं पहुँच ही गया उस जगह जिसे आम भाषा में बदनाम बस्ती ...

शिकायत है ऊपर वाले से

by Dimple Gaur
  • 10.5k

हुकुम सिंह ने आते ही सबसे पहले ननकी को ऊपर से नीचे तक घूरा । उसकी पैनी दृष्टि के ...

आत्म रक्षा

by Dimple Gaur
  • 8k

मूसलाधार बारिश । सुनसान रास्ता । आज ऑफिस में मीटिंग देर तक चली थी । शुभ्रा जब ऑफिस से ...

कर्म-फल

by Dimple Gaur
  • 12.5k

कर्म-फल सलाखों के बीच घिरा हुआ बैठा था वह. पूरी तरह से पीली पड़ चुकी आँखें. पिचके हुए गाल,मुख ...