हुक्म था — बचाओ, हसरत थी — छीन लो... और मोहब्बत कभी इजाज़त नहीं मांगती।" "प्यारे Parahearts परिवार, अध्याय 7 ...
ह कहानी मैं उन सभी दिलों को समर्पित करती हूँ, जो टूटी हुई हालात में भी मोहब्बत पर यकीन रखते ...
"आज कुछ बहुत अपना सा शेयर कर रही हूँ… खुद से जुड़ा, दिल से निकला।" शायद आप सब मुझे ...
“इस रिश्ते में मैं कभी तुम्हारी पहली पसंद थी ही नहीं… थी न?” पाँच साल पहले जब शहनाज़ की ज़िंदगी ...