लेकिन रमेश ने उसकी बात पर ध्यान नही दिया।ज्यों ज्यो बेटिका बड़ी हो रही थी।उनके खर्चे भी बढ़ रहे थे।आये दिन वे कोई नई फरमाइस कर देती।रमा उन्हें पिता के पास भेज देती।रमेश या तो उन्हें बहला देता या डांट देता।इस बात पर रमा बिगड़ जाती,"अभी तो इनके दिन है।अगर माँ बाप के राज में अपने शौक पूरे नही करेंगी तो कब करेंगी।"रोज रोज की चिक चिक और झगड़े से बचने के लिए रमेश अपना ज्यादा समय घर से बाहर रहकर गुज़ारने लगा।एक दिन पिता का फोन आया,"बेटा शीला के रिश्ते की बात चल रही है।रिश्ता हो गया तो ,पेसो