अगले दिन राकेश सुबह सुबह गांव घूमने निकल पड़ा कोशिश थी कोई तो ऐसा होगा जो सुलोचना के बारे में कुछ जानता होगा इसी उधेड़बुन में घूमते घूमते राकेश सुलोचना के घर के नजदीक पहुँच गया गांव से अलग वीरान में घर था सुलोचना का सुबह से मौसम खराब था तो बारिश भी शुरू हो गयी थी राकेश ने बाहर से आवाज लगाई काका वो काका अंदर से सुलोचना के पिता जगत महतो ने आवाज दी आ जाओ बचवा अंदर आ जाओ काहे भीग रहे लल्ला जूते उतार कर राकेश अंदर चला गया एक कमरे के छोटे से मकान में