Asha Parashar की किताबें व् कहानियां मुफ्त पढ़ें

शहरे खामोशां

by Asha Parashar
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बरसात शुरू हो गई, तेज बौछार नहीं, हल्की बूंदा-बांदी हो रही थी। पर जब पानी आंखों में गिरे तो ...

आदमखोर

by Asha Parashar
  • 6.6k

दिवाकरजी ने पीछे देखे बिना ही अहसास किया कि उनकी पत्नी उन्हें बलिहारी होने वाली नजरों से देख रही ...

निर्वासित

by Asha Parashar
  • 3.3k

हमेशा की तरह राधे बाबू ने दुकान का शटर ऊँचा किया और दहलीज को छू कर दोनों हाथ जोड़ ...

भग्नावशेष

by Asha Parashar
  • 3k

आदित्य को समझ नहीं आ रहा था कि जो कुछ उसने देखा क्या वह सत्य था? जिस भव्य मूर्ति ...

अधूरी कहानी

by Asha Parashar
  • 3.6k

स्वरा पूरी रात करवटें बदलती रही। नींद उस से कोसों दूर थी। आंखें बुरी तरह जल रही थीं। वह ...

नियति

by Asha Parashar
  • 3.9k

अचानक पंडाल का शोर थम गया और धीमी-धीमी खुसुर-पुसुर होने लगी, ”बड़ी मां आ गई, बड़ी मां आ गई।“ ...

अपना घर

by Asha Parashar
  • 3.5k

वह सिर्फ दो दिन के लिए जबलपुर आयी थी, वहाँ के कन्या महाविद्यालय में बाह्म परीक्षक के रूप में। ...