आश्रम में सन्नाटा पसरा था। साध्वी विशुद्धमति, जिनकी उम्र अब पिचासी को पार कर चुकी थी, अपने कक्ष में ...
उस रात रावी तट के उस गाँव में शिशिर की खुली बयार बह रही थी, और मंजीत और रागिनी ...
आश्रम में प्रातःकालीन ध्यान-धारणा के बाद जब सूर्य की पहली किरणें जिनालय के श्वेत संगमरमर पर पड़तीं, तब पंच-परमेष्ठी ...