अपने देश में प्राचीन काल से ही देश में मंदिरों के माध्यम से सामुदायिक रसोई की भावना रही है। ...
पाणिग्रहण संस्कार के बाद पुरुष तथा स्त्री समाज के समक्ष युगल रूप में रह सकते हैं। यह सामाजिक स्वीकृति ...
आदि गुरु शंकराचार्यजी के अनुसार शुद्ध मन ही सबसे अच्छा और बड़ा तीर्थ है। इसके अलावा कुछ और कहने-सुनने ...
कबीरदासजी किसी विश्वविद्यालय में नहीं गए थे. लेकिन उनके ज्ञान के बारे में किसी को संदेह नहीं है. अपने ...
‘मेटावर्स’ का ज़माना मनुष्य पहले सोचता है-फिर उसी सोच को करने में जुट जाता है। इससे आविष्कार होने लगते ...
नीतिशास्त्र की दुविधा मानव कभी-कभी दुविधा वाली स्थिति में फंस जाता है। मन कुछ सोच नहीं सकता है। नीतिशास्त्र ...
कहानी नानी-दादी से सुनी थी। बहुत पुरानी बात है। एक राजा था। उसके पास घोडा था। घोड़ा सुंदर था। ...
कोरोना संकट के बाद विद्यालय खुल गए हैं। बच्चों का आना शुरू हो गया है। एक परिवर्तन जो स्पष्ट ...
बहुत पहले ही हमारे ऋषि-मुनियों ने कह दिया था कि– अति सर्वदा वर्जयेत! बात सोलह आने सही है। कोई ...
"कहो पुस्तकालय! कैसे हो : एक निजी संवाद" सोच रहा था कि पुस्तकालय जाऊं तथा वहां की ...