“घर में अकेले परेशान हो जाती हूँ | न आस न पड़ोस | न नाते रिश्तेदार |”“सुबह-शाम तो मैं ...
आज रिटायर हो गया सुगन्धा अरे! कैसे-क्यों ? तबियत तो ठीक है न ! अभी ...
घर मोहल्ले की घुटन भरे वातावरण से निकलकर व्यक्ति पार्क में जाकर कुछ ताज़ी हवा खाता है ...
Selected in Matrubharti letter writing competition.