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मुम्बई के नजदीक मेरी रिहाइश ..लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ..
इक तू ही तो जीवन है मेरा, ऐ सनम कोई और नहीं है ! तेरा दिल ही ठिकाना है मेरा और दूजा कोई ठौर नहीं है!! -राज कुमार कांदु
बेवफा तेरा मासूम चेहरा, भूल पाने के काबिल नहीं है ! इक तू ही तो मुजरिम है, मेरा, कोई और कातिल नहीं है!! -राज कुमार कांदु
सुख तो है बेवफा ,वफादार है बस गम ...! कर ले तू इश्क गम से ,कुछ ना रहेगा कम ...! -राज कुमार कांदु
ढलते ढलते ढल जाए वो जवानी नहीं हूँ मैं हर चीज में मिल जाऊँ , वो पानी नहीं हूँ मैं लाखों की भीड़ में मैं मैं ही रहूँगा आसानी से भूला पाओ वो कहानी नहीं हूँ मैं -राज कुमार कांदु
निगाहों के खंजर से ,वो सरेआम कत्ल करते हैं । मासूमियत तो देखो उनकी, उनको ही खबर नहीं ...।। -राज कुमार कांदु
निचोड़ लो चाहे जिस्म से, एक एक कतरा खून का । हर कतरा तुम्हें पुकारेगा , ये सुबूत है मेरे जुनून का ।। -राज कुमार कांदु
वक्त का क्या ठिकाना ,क्या सितम कर जाए । रंक को राजा बना दे, राजा भी रंक बन जाए ।। -राज कुमार कांदु
बात करने की फुर्सत नहीं है तुझे , दिन रात हम तुझे ही पुकारा करते हैं । तेरी तस्वीर दिल में बना ली है हमने , चुपके से उसे ही निहारा करते हैं ।। -राज कुमार कांदु
तू बेवफा ही सही, पर नहीं दुश्मन मेरी मेरी हर साँस तेरी अब भी फिकर करती है -राज कुमार कांदु
खुदगर्ज नहीं देखा ,हमने तुम्हारे जैसा फनाह हुए तुम्हारे इश्क में हाल भी न पूछा -राज कुमार कांदु
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