Uma Vaishnav

Uma Vaishnav मातृभारती सत्यापित

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आपके बारे में

भावों की ये, अभिव्यक्ति शब्दों के आधार है मेरी कलम ही, मेरे अस्तित्व की पहचान है.

Uma Vaishnav मातृभारती सत्यापित कोट्स पर पोस्ट किया गया हिंदी ब्लॉग
5 महीना पहले

अंधेरा हमें तब तक भटकाता है, जब हम उसे हावी होने देते हैं.. लेकिन जिस दिन रोशनी की तरफ मूड गए।
उस के बाद ये अंधेरा हमारा पथ रोक नहीं पाएगा।

-Uma Vaishnav

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Uma Vaishnav मातृभारती सत्यापित कोट्स पर पोस्ट किया गया हिंदी शुभ प्रभात
5 महीना पहले

🙏जय मां शारदे 🙏
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सुप्रभात जी,
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हे माता जी, ज्ञान दो, तम का कर दो अंत ।
विद्या देवी शारदे, दे दो ज्ञान अनंत ।।

विद्या देवी शारदे , रखते तेरी आस।
जीवन भर कायम रहे,तुम पर ये विश्वास।।

मात चरण में नमन कर, कर लो माँ को याद।
बाकी सारे काम नित , करना इसके बाद

उमा वैष्णव
मौलिक और स्वरचित

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Uma Vaishnav मातृभारती सत्यापित कोट्स पर पोस्ट किया गया हिंदी शुभ प्रभात
5 महीना पहले

🙏जय मां शारदे 🙏
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सुप्रभात जी🌹🙏😊
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चरणों में वंदन करूँ, हंसवाहिनी मात ।
विद्या ज्ञान सबको मिले ,करे ज्ञान की बात।

जग जागा अब जागजा, देख हुई है भोर।
मंद मंद चलती हवा, चले कार्य की ओर।।

भोर भजन करना सदा, लेना प्रभु का नाम।
हर मुश्किल आसान हो, पूरे हो सब काम ।।

उमा वैष्णव
मौलिक और स्वरचित

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Uma Vaishnav मातृभारती सत्यापित कोट्स पर पोस्ट किया गया हिंदी शुभ प्रभात
6 महीना पहले

सुप्रभात जी, भाग - 1
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जय जय माता शारदे, नमन करे हम बाल।
बुद्धि मान हमको बना, रचना लिखे कमाल।।

कण कण में हैं हरि बसे, हरि हरि हैं हर ओर।
हरदम हम हरि को भजे, जब भी होती भोर।।

मात , पिता , भ्राता सदा, रहे हमारे साथ।
कोई भी मुश्किल पड़े, छूटे न कभी हाथ।।

उमा वैष्णव
मौलिक और स्वरचित

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1 साल पहले

रामायण भाग - 38
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राम - रावन की तैयारी (दोहा - छंद)
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एक एक करके सभी, पहुँचे अपने धाम।
रावन ही बस रह गया, अब योद्धा के नाम।।

दुर्गा पूजन तब किया , नौ दिन औ नौ रात।
विनती करते कह रहा, मात बनाओ बात।।

शिव का पूजन भी किया, जपा देव का नाम।
भोले बाबा से कहे, नाथ बना दो काम।।

लंका सारी जानती, जानते साधु संत ।
लंका में कुछ ना बचा, रावन का हैं अंत।।

अस्त्र शस्त्र लेकर हुआ , लड़ने को तैयार।
मौत खड़ी सर पर बचे, जीवन के दिन चार।।

उमा वैष्णव
मौलिक और स्वरचित

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1 साल पहले

रामायण भाग - 35
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नाग पाश से छुटकारा (दोहा - छंद)
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नाग पाश की शक्ति का,कुछ तो होगा काट।
होती प्रभु के हाथ में, सबकी रेख ललाट ।।

इसका क्या उपचार हैं, पूछे वानर राज।
कौन बनाए अब कहो, बिगड़े अपने काज।।

महावीर ने तब कहा, सुनलो वानर राज।
गुरुड राज ही अब करे, पूरे सारे काज।।

गुरुड राज आए तभी, करने अपना काम।
प्रभु जी चेतन हो गए, जगे लखन सुखधाम।।

सारी सेना खुश हुई, करते जय जयकार।
राम लखन की जय सभी , बोलो बारंबार।।

Uma vaishnav
मौलिक और स्वरचित

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1 साल पहले

रामायण भाग - 34
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नाग - पाश (दोहा - छंद)
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इंद्रजीत चल पड़ा , लेने को प्रतिशोध।
प्रभो राम की शक्ति का,उसे नहीं था बोध।।

आसमान में रथ लिया, चला असुर अब चाल।
राम लखन बोले कहा , आया तेरा काल।।

शक्ति चला के कर दिया, उसने अपना काम।
नाग पाश की शक्ति से, बंधे लक्ष्मण राम।।

सब सेना में मच गया, खूब तब कोहराम।
वानर व्याकुल हो गए, मूर्छित लक्ष्मण राम।।

Uma Vaishnav
मौलिक और स्वरचित

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1 साल पहले

रामायण भाग - 33
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कुम्भकरण का वध (दोहा - छंद)
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कुम्भ करण जब ना उठा, मंगाये पकवान।
महक भोज्य की सूंघ कर, जागा वह बलवान।।

कथा हरण की जब सुनी, जाने जब हालात।
समझाया लंकेश को , पर ना माना बात।।

कुंभकर्ण लड़ने चला, आया सीना तान।
मन में सब हैं जानता , नहीं बचेगी जान।।

युद्ध किया श्री राम ने, कुंभकर्ण के साथ।
एक बाण में सिर गिरा, कटे पाँव औ हाथ।।

कुंभकर्ण तब गिर पड़ा, लगा उसे जब बाण।
राम नाम लेते हुए , निकले उसके प्राण।।

Uma Vaishnav
मौलिक और स्वरचित

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1 साल पहले

रामायण भाग - 32
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लक्ष्मण की चेतना (दोहा - छंद)
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क्षमा मांग हनुमान से, पछताये प्रभु भक्त।
जाओ लेकर तुम बुटी, निकले ना ये वक्त।।

विधा भरत से ले चले, महा वीर हनुमान।
संजीवनी बुटी से बची , लक्ष्मण जी की जान।।

वानर सेना खुश हुई, बोले जय श्री राम।
युद्ध हुआ आरंभ फिर, लेकर प्रभु का नाम।।


Uma Vaishnav
मौलिक और स्वरचित

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1 साल पहले

रामायण भाग - 31
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भरत से भेंट (दोहा - छंद)
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सारे पौधे एक से, फर्क़ नहीं है एक।
किसे कहे संजीवनी, पौधे यहां अनेक।।

उठा लिया पर्वत तभी, लेकर प्रभु का नाम।
हनुमत के होते हुए , कैसे ना हो काम।।

साथ पवन के चल पड़े, पवन पुत्र हनुमान।
राम नाम की धुन लिए, उड़ चले आसमान।।

देखा हनु को भरत ने, चला दिया तब बाण।
राम नाम प्रभु का सुना,बचा लिया तब प्राण।।

समाचार सारा सुना , हुए भरत बैचैन।
शोक करके बैठ गए , रोये दोनों नैन।।

Uma Vaishnav
मौलिक और स्वरचित

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