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@princsinghandar10897gmail.com5087
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नादान परिंदे
हमारे गाँव मे एक नदी है (सोना नही) हमको याद है जब हम छोटे थे तो अपने गाँव के बड़े भाइयो के साथ करीब करीब 10 से 15 लोग इकट्ठा होकर नदी उसपर पीली मिट्टी (पियरी माटी) लाने जाते थे नदी उसपर एक शनिचरा भगवान का स्थान था जहां एक विशाल पेड़ आज भी है दरसल मिट्टी लाने के बहाने हम वहां उस पेड़ से निकले सोड़ को पकड़ कर झूला झूलने के लिए जाते थे वहां उस पेड़ के छाव में जो सुकून मैने महसूस किया आज वो सुकून मुझे एसी या कूलर से नही मिल पाता, गाँव के हैंडपम्प से जो मीठा और ठंडा जल निकलता था आज तक वो मिठास ना तो किसी आरो के पानी से मिला नाही वो ठण्ठक फ्रीज से, आज भी हैं गाँव जाते है तो वो पल महसूस कर सकते है लेकिन गाँव के वो भाई जो गाँव छोड़ कर शहर के तरफ पलायन कर चुके है वो नही मिलते शायद वो पल नही मिलता..... #गाँवकीमिट्टी
वक्त बड़ा धारदार होता है जनाब कट तो जाता है लेकिन बहुत कुछ काटने के बाद..! #शुक्रगुज़र
जिन्हें जहर देने के भी लायक नही उन्हें हम चाय पिला रहे है।। #शुक्रगुज़र
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