Tum mile book and story is written by Ashish Kumar Trivedi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Tum mile is also popular in सामाजिक कहानियां in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
तुम मिले (1)सुकेतु ने एक बार अपने आप को आईने में देखा। सब कुछ सही था। लेकिन वह कुछ नर्वस फील कर रहा था। ऐसा नहीं था कि मुग्धा से ये उसकी पहली मुलाकात थी। वो दोनों एक दूसरे ...और पढ़ेपिछले छह महीने से जानते थे। इस बीच कई बार मिल भी चुके थे। आपस में एक दूसरे से खुले हुए थे। किन्तु आज की मुलाक़ात कुछ ख़ास थी। उसने आज मुग्धा से अपने दिल की बात कहने का फैसला लिया था। इसी कारण से थोड़ा नर्वस था। जब से मुग्धा उसके
तुम मिले (2)मुग्धा जिसके साथ फ्लैट शेयर करती थी वह दो तीन दिनों के लिए बाहर गई हुई थी। मुग्धा सुकेतु को लेकर अपने घर आ गई । यहाँ वह निसंकोच अपनी आपबीती सुकेतु को बता सकती थी। सुकेतु ...और पढ़ेसब जानने को उत्सुक था कि यदि मुग्धा का पती जीवित है तो वह यहाँ अकेली क्यों रहती है। वह कभी उससे मिलने क्यों नहीं आता। उन दोनों के रिश्ते में वह कौन सी दरार है जिसके कारण मुग्धा उसके होते हुए भी उसे चाहती है।मुग्धा को भी सुकेतु के मन
तुम मिले (3)कहानी सुनाते हुए मुग्धा भावुक हो गई। सुकेतु उसे ढांढस बंधाने लगा। मुग्धा बोली।"सुकेतु मैं अजीब सी स्थिति में हूँ। मैं नहीं जानती कि मैं सौरभ की पत्नी हूँ या उसकी विधवा। इस स्थिति में रहना मेरे ...और पढ़ेबहुत कठिन है।"सुकेतु उठ कर उसकी बगल में बैठ गया। वह जानता था कि इस समय शब्द मुग्धा को तसल्ली नहीं दे सकते। उसने उसका सर अपने कंधे पर रख लिया। प्यार से उसका सर सहलाने लगा। कुछ देर ऐसे ही बैठे रहने के बाद मुग्धा सीधे होकर बैठते हुए
तुम मिले (4)सुकेतु अपने दोस्त दर्शन के ऑफिस में बैठा था। इस वक्त दर्शन किसी और क्लांइट के साथ व्यस्त था। सुकेतु बाहर बैठा अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहा था। करीब दस मिनट के बाद दर्शन ने उसे ...और पढ़ेबुलाया। इंतज़ार करवाने के लिए माफी चाहूँगा। वो पुराने क्लांइट थे इसलिए मना नहीं कर सकता था। कुर्सी पर बैठते हुए सुकेतु बोला। कोई बात नहीं। मैंने भी आखिरी समय में वक्त मांगा था। दर्शन ने उससे उसके आने का कारण पूँछा। सुकेतु ने सारी बात विस्तार से बता दी। सब जानने के
तुम मिले (5)सुकेतु ने जानबूझ कर मुग्धा को अपने घर पर मिलने बुलाया था। अब तक मुग्धा और उसकी माँ एक दूसरे से नहीं मिली थीं। दोनों ने सिर्फ सुकेतु से एक दूसरे के बारे में सुना भर था। ...और पढ़ेचाहता था कि दोनों आपस में मिल कर एक दूसरे को समझने का प्रयास करें।सुकेतु अपनी माँ के दिल को अच्छी तरह जानता था। ऊपर से चाहें ना दिखाएं पर मुग्धा के बारे में जान कर उनका दिल द्रवित हो गया था। यह जान कर कि मुग्धा दोपहर