Manto ki Shresth Kahaniya book and story is written by Saadat Hasan Manto in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Manto ki Shresth Kahaniya is also popular in लघुकथा in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मंटो की श्रेष्ठ कहानियां - उपन्यास
Saadat Hasan Manto
द्वारा
हिंदी लघुकथा
दिन भर की थकी माँदी वो अभी अभी अपने बिस्तर पर लेटी थी और लेटते ही सो गई। म्युनिसिपल कमेटी का दारोगा सफ़ाई, जिसे वो सेठ जी के नाम से पुकारा करती थी। अभी अभी उस की हड्डियां पसलियां झिंझोड़ कर शराब के नशे में चूर, घर वापस गया था.... वो रात को यहीं पर ठहर जाता मगर उसे अपनी धर्म पत्नी का बहुत ख़याल था। जो उस से बेहद प्रेम करती थी। वो रुपय जो उस ने अपनी जिस्मानी मशक़्क़त के बदले उस दारोगा से वसूल किए थे, उस की चुस्त और थूक भरी चोली के नीचे से ऊपर को उभरे हुए थे। कभी कभी सांस के उतार चढ़ाओ से चांदी के ये सिक्के खनखनाने लगते। और उस की खनखनाहट उस के दिल की ग़ैर-आहंग धड़कनों में घुल मिल जाती। ऐसा मालूम होता कि इन सिक्कों की चांदी पिघल कर उस के दिल के ख़ून में टपक रही है!
“मेरी लगदी किसे न वेखी तय टटदी नों जग जांदा”
“ये आप ने गाना क्यों शुरू कर दिया है”
“हर आदमी गाता और रोता है कौनसा गुनाह किया है ”
“कल आप ग़ुसल-ख़ाने में भी यही गीत गा रहे ...और पढ़े
“ग़ुसल-ख़ाने में तो हर शरीफ़ आदमी अपनी इस्तिताअत के मुताबिक़ गाता है इस लिए कि वहां कोई सुनने वाला नहीं होता मेरा ख़याल है तुम्हें मेरी आवाज़ पसंद नहीं आती”
इशक़-ओ-मोहब्बत के बारे में अख़लाक़ का नज़रिया वही था जो अक्सर आशिकों और मोहब्बत करने वालों का होता है। वो रांझे पीर का चेला था। इशक़ में मर जाना उसके नज़दीक एक अज़ीमुश्शान मौत मरना था।
मेरे मुतअल्लिक़ आम लोगों को ये शिकायत है कि मैं इश्क़िया कहानियां नहीं लिखता। मेरे अफ़सानों में चूँकि इश्क़ ओ मोहब्बत की चाश्नी नहीं होती, इस लिए वो बिल्कुल स्पाट होते हैं। मैं अब ये इश्क़िया कहानी लिख रहा ...और पढ़ेताकि लोगों की ये शिकायत किसी हद तक दूर हो जाए।
ासिम सुबह सात बजे लिहाफ़ से बाहर निकला और ग़ुसलख़ाने की तरह चला। रास्ते में, ये इसको ठीक तौर पर मालूम नहीं, सोने वाले कमरे में, सहन में या ग़ुसलख़ाने के अंदर उस के दिल में ये ख़्वाहिश पैदा ...और पढ़ेकि वो किसी को उल्लु का पट्ठा कहे। बस सिर्फ़ एक बार ग़ुस्से में या तंज़िया अंदाज़ में किसी को उल्लु का पट्ठा कह दे।
लोग कहते थे कि नत्थू का सर इस लिए गंजा हुआ है कि वो हरवक़्त सोचता रहता है इस बयान में काफ़ी सदाक़त है। क्योंकि सोचते वक़्त नत्थू सर खुजलाया करता है। चूँकि उस के बाल बहुत खुरदरे और ...और पढ़ेहैं और तेल न मिलने के बाइस बहुत ख़स्ता हो गए हैं। इस लिए बार बार खुजलाने से उस के सर के दरमियानी हिस्सा बालों से बिलकुल बेनयाज़ हो गया है। अगर उस का सर हर रोज़ धोया जाता तो ये हिस्सा ज़रूर चमकता। मगर मेल की ज़्यादती के बाइस उस की हालत बिलकुल उस तवे की सी हो गई है जिस पर हर रोज़ रोटियां पकाई जाएं। मगर उसे साफ़ न किया जाये।