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औरत एक शक्ति - उपन्यास
Shubhi Gupta
द्वारा
हिंदी महिला विशेष
एक आदमी ने सामने एक औरत के बाल पकड़े हुए थे और वो औरत दर्द से करहाराही थी।छोड़ो दो मुझे मत मारो तुम्हे पैसे चाहिए है ना। यह लो पैसे लिकेन मुझे छोड़ दो। यह तुम्हारा भी तो बच्चा है। उसके लिए छोड़ दो।
वो आदमी उसे धक्का देते हुए। पैसे गिनते हुए जा रहा हु मे। यह कहेके. वो वहा से चला जाता है। और वही औरत उठते हुए अपने पेट पे हाथ रखकर मेरा बच्चा तू चिंता मत करो मे हु तेरे साथ। यह कहेके वो अपने असू पाउच लेती है।
यह है पंखुरी और जो इसे मर रहा था वो था उसका पति केशव जो की उसे खूब मरता था.
क्युकी पंखुरी काम करती थी। और केशव उसे पैसे लेने के लिए मरता था।
पंखुरी 9 मंथ प्रेग्नेंट थी। उसको कभी भी बच्चा हो सकता था। लिकेन केशव यह बात समझता ही नहीं था। वो बस उसे मरता रहता था।
एक औरत, एक बेटी, एक पत्नी, एक माँ सब रिश्तो को अच्छे से निभाती है लेकिन एक माँ और बच्चे का रिश्ता सब रिश्तो से ऊपर होता है एक औरत हर रिश्ते में चुप रह सकती है लेकिन ज़ब ...और पढ़ेउसके बच्चे पर अति है तब वो बर्दाश नहीं कर पाती |
हमारी यह कहानी एक औरत के संघर्ष आपने बच्चे के लिए कुछ करने कि कोशिश |और एक आत्मनिर्भर बनने का पड़ाव है | कि औरत एक शक्ति है जो कही नहीं झुकती है |
पंखुरी और गजरी एक बिस्कुट फैक्ट्री मे काम करती है.दोनों वहा पैकिंग करा करते थे। दोनों जब वहा पाउचके अपने काम पर लग जाते है। पंखुरी अब ज्यादा काम नहीं कर पा रही वो जल्दी ही थक जाती थी। ...और पढ़ेरूककर बैठ जाती है और पानी पीने लगती है।तो वहा पर उस फैक्ट्री का मनजेर आता है. अभी आये हुए वक़्त हुआ नहीं और लगी आराम फरमाने। यह कहेके वो उसके पास आते हुए तुम छोटे लोगो का यही प्रॉब्लम है । जाम काम मांगे आते है तो कितनी मिन्नत करते है। और जब काम मिल जाता है तो आराम
पंखुरी दर्द मे तड़प रही थी। डॉक्टर उसे अंदर लेकर जाता है। गजरी बाहर बैठी भगवान से प्राथना कर रही थी। की सब ठीक हो जाए बस.। करीब एक घंटे बाद डॉक्टर बाहर अति हैगजरी उनको देखकर खड़ी हो ...और पढ़ेहै। क्या हुआ डॉक्टर पंखुरी ठीक तो है ना।डॉक्टर,, जी वो ठीक है। मुबारक़ हो बेटी हुई है।गजरी खुश होते हुए पंखुरी कैसी है।डॉक्टर,, वो ठीक है नार्मल डिलीवरी हुई है। कल आप लेजा सकती है।गजरी, मे मिल सकती हुडॉक्टर,, हा मिल लीजिएयह कहेके वो डॉक्टर वहा से चलि जाती है।गजरी भी अंदर अति है। तो पंखुरी लेटी हुई थी.
शिव्या को घर आये हुए एक हफ्ता हो गया था.। इस बीच केशव के बेहेवियर मे कोई अंतर नहीं आया था। उसका रोज का घर आना और पीके तमाशा करना। लिकेन आज तो उसने हद ही कर दी थी। ...और पढ़ेसुबह काम पर जाती तो शिव्या को गीता के पास छोड़ जाती थी। और शाम को जब वापिस अति तो शिव्या को लेती और अपने काम निपटाकर शिव्या के साथ खेलती थी।ऐसे ही हस्ते खेलते हुए दिन बीत रहे थे। लिकेन हर दिन एक से नहीं होते। शायद वो दिन आज था. आज पंखुरी की छुट्टी थी इसलिए वो घर