Pyar ka Daag book and story is written by SWARNIM स्वर्णिम in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Pyar ka Daag is also popular in क्लासिक कहानियां in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
प्यार का दाग - उपन्यास
SWARNIM स्वर्णिम
द्वारा
हिंदी क्लासिक कहानियां
बाहर बारिश हो रही है। बारिश की आवाज अक्सर मुझे परेशान करती है। उसके ऊपर, आधी रात की बारिश मेरे दिल की चयन और मेरी आँखों की नींद कुछ इस तरह से चुरा लेती है कि ऐसा लगता है जैसे यह मेरा नहीं है, इन सब चीजों में केवल उसका ही पूरा अधिकार है। हां, मुझे बारिश बहुत पसंद है, लेकिन मैं हर रात बारिश का संगीत इस तरह सुनने के मूड में नहीं हूं, कम से कम आज तो नहीं। बारिश की आवाज़ को नज़रअंदाज़ करने के लिए, मैंने अपने इयरफ़ोन को अपने मोबाइल फ़ोन से कनेक्ट किया और
बाहर बारिश हो रही है। बारिश की आवाज अक्सर मुझे परेशान करती है। उसके ऊपर, आधी रात की बारिश मेरे दिल की चयन और मेरी आँखों की नींद कुछ इस तरह से चुरा लेती है कि ऐसा लगता है ...और पढ़ेयह मेरा नहीं है, इन सब चीजों में केवल उसका ही पूरा अधिकार है। हां, मुझे बारिश बहुत पसंद है, लेकिन मैं हर रात बारिश का संगीत इस तरह सुनने के मूड में नहीं हूं, कम से कम आज तो नहीं। बारिश की आवाज़ को नज़रअंदाज़ करने के लिए, मैंने अपने इयरफ़ोन को अपने मोबाइल फ़ोन से कनेक्ट किया और
मैं बार-बार उसकी प्रोफ़ाइल आक्टीभिटी की जाँच करती रही यह देखने के लिए कि अभी भी उसके संदेश आएगा। हालाँकि उन्होंने कल मिलने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया, लेकिन मुझे न तो विश्वास था और न ही उम्मीद ...और पढ़ेकि हम कल मिलेंगे। मैं कैसे उम्मीद कर सकता थीं जब दो साल पहले से हम केवल भर्चुअल दुनिया में एक साथ थे। परिचय के साधन, बातचीत, मुलाकातें, रिश्ते सब सोशल साइट्स की परिधि में सीमित था । इसके आगे केवल उनकी कल्पना थी, जो वास्तविकता बनने की उम्मीद के करीब कहीं नहीं थी। लेकिन भले ही हम भर्चुअल दुनिया
मेरे मन की उत्साह उसके हाथ में लिए हुए गुलाब की सुगन्ध से और बढ़ गया था। मैं अपने पूरे दिल को खुशी के पंखों से उड़ता हुआ महसूस करने लगी। "क्या तुम यहाँ अकेले बैठे हो?" "आप मेरे ...और पढ़ेहो और मैं अकेला कैसे हो गयी?" मैंने उसके सवाल का जवाब दिया। "नहीं, नहीँं मेरा मतलव मेरे आने से पहले ?" अयान वापस हँसा। "आपके आने से पहले आपका फोन आया था ।" मन ने आगे कहा, "और आप का याद भी। जब तक मैं आप को याद करती हूं, मैं कभी अकेली नहीं रहूंगी।"मेरे मन की आवाज सिर्फ
"तुम चुप क्यों हो? कुछ तो कहो न। क्या मुझे अभी भी तुमसे बात करने के लिए म्यासेन्जर को चालू करना पडेगा?" अयान ने मेरी बायीं हथेली को अपनी दाहिनी हथेली से सहलाते हुए बोला। उसके स्पर्श से मेरे ...और पढ़ेपर लाल रंग आ गया। भले ही उसने मुझसे कुछ कहने के लिए कहा, लेकिन मेरे पास उसे तुरंत सुनाने के लिए कोई आवाज नहीं थी। शायद ध्यान भी। मैं उसकी उपस्थिति को महसूस करके खुश हो रही थी। मैं सामने शीशे पर उसका चेहरा देख रही थी और मुझे इस बात का भी आभास था कि मेरी चोरी पकड़ी
अपने विचारशील कदमों के वजा मैं बहुत देर हो चुकी थी। अयान ने आवाज की तो मैं कांप गयी। "क्या तुम्हें बैग ले जाने में कठिनाई हो रही है? लाओ इसे और यह ठेलागाडी में रख दो, यह तुम्हारे ...और पढ़ेआसान हो जाएगा।" "नहीं ठीक है।" भले ही मेरे मुंह से ऐसा निकला, फिर भी बारिशकी वजा से पैर पर छाला फूट पड़ा था। इसलिए मेरे चलने की गति कम हो गई थी। लेकिन मैं अयानको यह बताना नहीं चाहता थी और फिर कही- ''आ रही हूं, अाप चलो।" अयान ने ठेलागाडी को धक्का देने के करीब 15 मिनट बाद