मेरे नैना सावन भादौ ( A Horror Story ) - उपन्यास
Atul Kumar Sharma ” Kumar ”
द्वारा
हिंदी डरावनी कहानी
हममें से हरेक को अपनी-अपनी जिंदगी में कई अनुभवों से गुजरना पड़ता है। कुछ अनुभव मन को सुकून देते हैं तो कुछ अनुभव ऐसे रहस्यों की चादर में लिपटे होते हैं। जिनपर सामान्य आंखें आसानी से विश्वास नही करती। ...और पढ़ेजिंदगी बहुत कुछ दिखाती भी है और सिखाती भी है। जो दिखाई देता है हमसभी उसीपर विश्वास करते हैं,पर जितना इस दुनिया मे दृष्टिगत है उससे कई गुना अदृश्य भी है। ईश्वर भी कभी किसी को दिखाई नही देते ,पर हमारी आस्था हमारा विश्वास उनको ईश्वर रुप मे देखती है। कोई तो है जो इस सम्पूर्ण सृष्टि को बड़ी कुशलता के साथ चला भी रहा है और नियंत्रित भी कर रहा है।
इंसान का जन्म लेना जितना बड़ा सत्य है , मृत्यु उससे भी बड़ा शाश्वत सत्य है। जीवित अवस्था मे तो हम इसी धरती पर रहते हैं। तमाम रिश्तेनातों को जीते हैं उन्हें निभाते हैं। जिम्मेदारियों को पूर्ण करते हैं। और अपना अपना जीवनकाल पूर्ण होने पर इस दुनिया से चले जाते हैं। अब प्रश्न ये उठता है कि मृत्यु पश्चात व्यक्ति का क्या होता है। उसकी आत्मा कहाँ जाती है। क्या ईश्वर में विलीन हो जाती है। या फिर इसी धरती पर रहती है।
हममें से हरेक को अपनी-अपनी जिंदगी में कई अनुभवों से गुजरना पड़ता है। कुछ अनुभव मन को सुकून देते हैं तो कुछ अनुभव ऐसे रहस्यों की चादर में लिपटे होते हैं। जिनपर सामान्य आंखें आसानी से विश्वास नही करती। ...और पढ़ेजिंदगी बहुत कुछ दिखाती भी है और सिखाती भी है। जो दिखाई देता है हमसभी उसीपर विश्वास करते हैं,पर जितना इस दुनिया मे दृष्टिगत है उससे कई गुना अदृश्य भी है। ईश्वर भी कभी किसी को दिखाई नही देते ,पर हमारी आस्था हमारा विश्वास उनको ईश्वर रुप मे देखती है। कोई तो है जो इस सम्पूर्ण सृष्टि को बड़ी कुशलता
अमित को पलंग पर सोता छोड़ राम तपन के साथ बाहर बगीचे में आ गया। तपन को समझ नही आ रहा था कि वो राम से क्या कहे? राम ही बात को आगे बढाते हुए बड़े विश्वास के साथ ...और पढ़ेहाथ उसके कंधे पर रखकर बोला। राम की बात सुनकर तपन बड़े गौर से उसी तरफ देखने लगा। जैसे राम ने उसके मन की बात कह दी हो। फिर उसमें एक अलग ही आत्मविश्वास आ गया। "" हाँ यार , में भी यह कहना चाहता हूँ। मुझे अमित की हालत बिल्कुल भी ठीक नही लगती। कुछ दिनों से वो अजीब
वो लोग घर पहुंचे तो देखा कि अमित घर पर नही था। काका ( उनके घर के एक नोकर ) से पूछने पर उन्होंने बताया कि अमित तो कुछ देर पहले बाहर कहीं चला गया है। पुछने पर बस ...और पढ़ेबोला कि अभी थोड़ी देर में आ जायेगा। "" अरे !!!!!...आपने क्यों उसे जाने दिया। पता हेना उसकी तबियत ठीक नही है अभी। है भगवान वो कहाँ गया होगा। कहीं उसे कुछ हो ना जाये। "".... "" अरे माँ आप चिंता मत करो। थोड़ा बाहर घूम आएगा तो उसका जी अच्छा हो जायेगा। और में बात करता हूँ उसके दोस्तों
उस घटना के बाद से अमित एक बार फिर कुछ-कुछ पहले जैसा होने लगा। अकेले में अजीब-अजीब आवाज़ें निकालता। खुद से बात करता। किसी भी चीज़ को अजीब ढंग से देखता। कभी भी किसी भी बात पर अचानक से ...और पढ़ेहो जाता , तो अगले ही पल नॉर्मल भी हो जाता। उसे लेकर सभी घरवाले बहुत परेशान रहने लगे। तपन ने अपने दोस्त राम को अमित की वो सब बातें बताई। राम भी सोच में पड़ गया। तपन ने राम को एक बार फिर उन गांव के पट वाले बाबा से बात करने को कहा। राम ने उससे बात करने
किशोरजी हैरानी से अपने बेटे अमित के चेहरे की तरफ एकटक देख रहे थे। अमित के चेहरे के हावभाव बिल्कुल एक औरत की तरह थे। अपनी आंखों को कोटर में गोल गोल घुमाते हुए वो उनके चेहरे पर प्यार ...और पढ़ेसहला रहा था। किशोरजी बुरी तरह डरे हुए अमित के वर्तमान स्वरूप से अचंभित थे। उनके मुंह से एक शब्द तक नही निकल पा रहा था। चेहरा बुरी तरह पसीने से भीग चुका था। अमित फिर औरत की आवाज़ में बोला।... उनको ज़मीन पर गिरा देख अमित शातिराना अंदाज़ में मुस्कुराते लगा। ... "" पापा , ओ पापा , उठिए।
अमित का दोस्त मंजीत अपने कमरे में घबराते हुए इधर से उधर घूम रहा था। उसके दिमाग में उथल-पुथल मची थी। ऊपर से आनंद की मौत की खबर सुनकर वो भी डर गया था। उसे अब अपनी जान भी ...और पढ़ेमें लगने लगी थी। उसे कुछ समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे कहां जाए ताकि उसकी जान बच सके। तपन की माताजी उमाजी बड़बड़ाते हुए कमरे में आतीं हैं। तपन वहीं कुर्सी पर बैठे हुए अखबार पढ़ने में व्यस्त था। माँ को इस तरह खुद से ही बोलते देख उसका ध्यान उनकी तरफ जाता है। माँ को
राम अपने मामाजी को लेकर तपन के घर आता है। तबतक तपन के पिताजी ऑफिस जा चुके थे। वो अपने मामाजी का परिचय अन्य घरवालों से कराता है। जब दादी और माताजी को उनके बारे में पता चलता है ...और पढ़ेउनको मन मे एक आस जगती है। वे तो अमित को लेकर काफी निराश हताश हो चुके थे। राम के मामाजी को अमित के बारे में शुरू से बताया जाता है। लेकिन कहाँ अमित से गलती हुई इस बारे में कोई नही जानता था। राम के मामाजी ने अमित के कमरे को देखने की इक्छा व्यक्त की। उनको अमित के
उस रात हर किसी की आंखों में बहुत बेचैनी थी। सबका मन रह रह कर विचलित हो रहा था। तपन के पापा भी ऑफिस से आ जाते हैं। लेकिन कोई भी किशोर से राम के मामाजी वाली बात नही ...और पढ़ेतपन की माँ उमा को ये डर था कि कहीं वो ये सब सुनकर नाराज़ न हों जाएं। किशोर को इन सब बातों में तनिक भी भरोसा नही था। और दादीजी को एक अलग ही डर था। उस पूरी सच्चाई का जो उनके लड़के किशोर को भी नही पता थी। वही किशोर को इस बात का डर था कि कहीं
अत्याचार सहने की पराकाष्ठा को प्राप्त हो चुकी थी अब निशा। और अब तो किशोर भी उसके पास नही था। दिन-रात उसकी आंखें अब भीगी हुई ही रहतीं। अपने बेटे को खोने का सदमा वो अब बर्दाश्त नही कर ...और पढ़ेरही थी।रह-रहकर उसे अपने बच्चे की बिलखती हुई आवाज़ सुनाई देती। उधर सुशीला के मन मे अलग ही खिचड़ी पक रही थी। इतना दुख इतना प्रताड़ित करने के बाद भी सुशीला को कुछ कमी सी लगती। "" अरे ताईजी , उसे इस तरह जाने देना ठीक नही। कहीं वो बाहर जाकर सबसे बोलती ना फिरे। और कहीं पुलिस में जाकर
तपन मंजीत को बार-बार सच बताने के लिए फोर्स कर रहा था। लेकिन मंजीत असमंजस में पड़ा हुआ था। राम और तपन को अब पक्का यकीन हो चुका था कि मंजीत कुछ तो जानता है जिससे मंजीत को भी ...और पढ़ेलग रहा है इसलिए वो बताना नही चाह रहा। "" करीब साल भर पहले की बात है। मेने और आनंद ने प्लान बनाया की कुछ दिन कहीं घूमने चला जाये। लेकिन हमारे पास मौजमस्ती करने को पैसे नही थे। तभी आनंद ने अमित के गांव के बारे में बताया। हमने सोचा गांव में खूब मज़े करेंगे। अमित के पापा बहुत
तपन को अपने चाचाजी पर बहुत गुस्सा आ रहा है। जिन्होंने उसके छोटे भाई को मारने की कोशिश की। वो मंजीत की हर बात को बारीकी और गम्भीरता से ले रहा था। इतनी ऊंची खाई से नीचे गिरने के ...और पढ़ेभी अमित बच कैसे गया। और घर तक कैसे आया। या कौन उसे लेकर आया। यही सब सोच-सोचकर तपन के दिमाग की नसें फटी जा रहीं थीं। सारी गुत्थियाँ उलझती जा रहीं थीं। वो तो अबतक सिर्फ प्रेतात्मा का ही सोचकर चल रहा था। पर अबतो इसमें कई एंगल और जुड़ गए थे। एक पल को उसे शक होता कि
तपन अपने कमरे बैठा पुरानी बातों पर विचार कर रहा होता है तभी उसके फोन की घण्टी बजती है। देखने पर वो कॉल मंजीत की थी। तपन फ़ौरन कॉल रिसीव करता है। सामने से मंजीत बोलना शुरू करता है।... ...और पढ़ेकौनसी बात!!!!!"" तपन हैरानी से पूछता है। जब होश आया तो मैने खुद को रिसेप्शन पर सोफे पर लेटा पाया। होटल के कर्मचारियों ने मुझे सीढ़ी पर बेहोश देख वहां लाकर लिटा दिया। होश में आते ही मुझे कुछ देर पहले घटा वो वाकया याद आया। में पसीने से बुरी तरह तर-बतर था। हकलाते हुए मेने जब उन लोगों से
रात के करीब 2 से 3 के बीच का वक़्त था। तपन और अमित की दादी सुशीला बाथरूम जाने के लिए उठीं। बाथरूम से आकर जैसे ही वो अपने रूम में आईं , उनको कुछ आवाज़ें आईं। जैसे कोई ...और पढ़ेतेज़ सांसे ले रहा हो। धीरे धीरे से कुनमुना रहा हो। उनको हल्का हल्का डर लगने लगा। अमित की बात याद करके उनके रौंगटे खड़े हो गए। पहले वो अमित की हालत से इतना नही डरती थीं जबतक उनको सिर्फ इतना पता था कि अमित पर किसी प्रेतबाधा का साया है। लेकिन जबसे अमित ने निशा का नाम लेकर सबको
सिद्धेश्वर जी और उनके साथ आये रविन्दों चटर्जी राम के ही घर पर रुकते हैं। वो सीधे तपन के घर नही जाते। क्योंकि अष्टमी आने वाली थी। और वो अष्टमी को ही तपन के घर जाकर अपना कार्य प्रारंभ ...और पढ़ेचाहते थे। माताजी के भक्तों और साधकों के लिए अष्टमी का दिन बहुत ही शुभ फलकारी और सफ़लतादायी, सिद्धिदायक होता है। तबतक वो राम के घर ही रुककर अपना पूर्व कार्य करना चाहते थे। उन्होंने राम से कहा कि वो तपन के घर जाकर अमित का फोटो अलग से , और एक पूरी फैमिली फ़ोटो जिसमे अमित के साथ बाकी
सुशीला अगले दिन सुबह ही गांव निकल गई। किशोरअनमने मन से ऑफिस चला गया। उमा भी निराश हताश होकर जैसे तैसे घर का कामकाज निपटाकर कमरे में आकर बैठ गईं। उसने गुस्से में राम के मामाजी द्वारा बताई पूजा ...और पढ़ेतो कर दी थी पर उसका मन अशांत था। वो भृमित सी तरह तरह के विचारों के समंदर में डूब रही थी। तपन के द्वारा दी गई वो 5 कौड़ियाँ भी उसने वैसी ही पड़ी रहने दीं। अचानक से उसके मन ने बगावत कर दी थी। एक दिन पहले तक पूरे तन-मन-धन से पाठ करने वाली उमा अब अपना विश्वास
तपन घर जाकर अपनी उमा को राम के मामाजी वाली बात बताता है। और पूजा खंडित करने पर उनपर गुस्सा भी होता है। उसकी बात सुनकर उमा अंदर तक डर जाती हैं। उसे बहुत अफसोस होने लगता है पूजा ...और पढ़ेअंतिम मौके पर रोकने का। यदि वो थोड़ा धैर्य और रख लेती तो अष्टमी को सब हल हो जाता। उसे स्वयम पर गुस्सा आने के साथ ही इस बात की हैरानी भी हो रही थी कि उसके जैसी औरत जो कभी भी ईश्वर में अविश्वास नही की , बचपन से अबतक पूरी श्रद्धा से भगवत आराधना करती आई , आखिर
घड़ी की तरफ देखते हुए राम तपन से बोला। राम की बात सुनकर तपन भी थोड़ा चिंतित था। इतने वो कच्चे रास्ते पर आगे बढ़ ही रहे थे कि एक व्यक्ति उनको सड़क किनारे उनकी तरफ आता दिखाई दिया। ...और पढ़ेमें गाड़ी धीमी कर उससे पूछना चाहा। ज्यों ही रफ्तार कमकर खिड़की से बाहर उस व्यक्ति से कालापीपल की दूरी पूछी तो पहले वो व्यक्ति आँखे फाड़ फाड़कर उनको हैरानी से देखने लगा। उसको चुपचाप निहारते देख राम से रहा नही गया। वो उससे बोल बैठा।... उसकी बात सुनकर वो व्यक्ति अब राम को हैरानी से देखने लगा। राम के
सुबह के 4 बजे थे। किशोर अमित के पास बैठे हुए थे। उमा स्नान कर पूजा घर मे अस्तव्यस्त समान को व्यवस्थित करने में लगी थी। अष्टमी थी और राम के मामाजी आज अंतिम रूप से प्रेत-बाधा ग्रस्त अमित ...और पढ़ेपूर्णतः इलाज करने आने वाले थे। आसमान में बस कुछ ही समय बाद अष्टमी का सूर्योदय होने वाला था। आज का दिन कई मायनों में खास था। उमा तो आज बेहद उत्साह से तैयारियां करने में जुटी थी। रात भर कोई भी नही सोया था। झाड़ियों और पेड़ पौधों की वजह से ऊपर से अंधेरे के कारण वो साफ-साफ कुछ
राम के मामाजी सिद्धेश्वर और काली मंदिर कलकत्ता के पूर्व पुजारी रविन्दों चटर्जी ज़मीन पर अचेत पड़े हुए अमित को देखकर अपने थैले में से एक शीशी निकालते हैं। और मन ही मन मंत्र पढ़ते हुए उस शीशी का ...और पढ़ेउसपर छिड़कते हैं। अमित को चेतना आने लगती है। वो उठकर बैठ जाता है। और सभी को आश्चर्य से देखने लगता है। उमा और तपन उसे सम्भालते हुए पलंग पर लेटा देते हैं। तेलिया हनुमान मंदिर के पुजारीजी से सिद्धेश्वर और रविन्दों नमश्कार करते हैं। और कुछ मन्त्रणा करने लगते हैं। उसके बाद तपन को अपनेपास बुलाकर उससे बाहर बगीचे
सिद्धेश्वर जी दिन भर अपनी साधना से अपने सिद्ध मंत्रों द्वारा अमित पर अस्थिर कवच का निर्माण करते हैं। उमा को एक गोमती चक्र प्रदान करते हैं। जिसे उसे अमित के सिरहाने रखना था। और एक पंचधातु की अंगूठी ...और पढ़ेरक्षयन्त्र बना हुआ था उसे पहनने को देते हैं। स्वयम घर मे प्रवेश नही करते बल्कि हनुमत मंत्रों से अभिमंत्रित जल अमित के कमरे के चारों तरफ छिड़कने को देते हैं। और फिर अमित को उसके कमरे में कुछ समयहेतु नजरबंद जैसा कर देते हैं। मतलब उसका कमरे से किसी भी सूरत में बाहर आना वर्जित था। और उमा को
वो तीनो श्मशान में प्रवेश करते हैं। पर अंदर चारों तरफ देखने पर भी कोई नजर नही आता। बस एक अनंत शांति खामोशी छाई रहती है। झींगुरों की आवाज ही उस शांति को भंग कर रही थी। तभी सिद्धेश्वर ...और पढ़ेकुछ इशारा करते हैं। थोड़ा अंदर जाने पर उनको बाईं तरफ दूर कुछ रौशनी सी दिखाई देती है। वो धीरे धीरे आगे बढ़ने लगते हैं। ज्यों ज्यों वो उस रौशनी के नज़दीक पहुंचते हैं वैसे ही वातावरण भयानक होने लगता है। वो तांत्रिक अपनी दोनों आँखें खोलकर गुस्से में दहाड़ने लगता है। तभी राम उसकी पीठ में जोरदार लात मारता
लखनपाल की बात सभी बड़े गौर से हैरान होकर सुन रहे थे। पर किशोर अंदर ही अंदर गुस्से से उबल रहा था। उससे रहा नही गया और वो उठकर लखनपाल की कॉलर पकड़ लेता है। किशोर आँख में आँसू ...और पढ़ेदिल मे गुस्सा लिए उसकी कॉलर पकड़कर उसे झंझोड़े जा रहा था। तपन और राम उसे ऐसा करने से रोकते हैं। लखनपाल एकटक किशोर के चेहरे को ही देख रहा था। राम और तपन किशोर को खींचकर उससे अलग करते हैं। तभी लखनपाल बोलता है।... ये सुन तपन लखनपाल से बोलता है।... "" ये रहस्य का खुलासा तो ये पहले
उमा तपन आज बहुत खुश थे। कई महीनों बाद आज उनको कुछ सुखद एहसास हो रहा था। तपन भी हल्कापन महसूस कर रहा था। पर किशोर खुश होते हुए भी कुछ परेशान सा था। उसके मन मे लगातार निशा ...और पढ़ेलेकर द्वंद चल रहा था। वो चाहकर भी घर मे अपनी पुरानी सच्चाई बताने की हिम्मत नही जुटा पा रहा था। उमा क्या सोचेगी? बच्चों के सामने क्या मुँह लेकर जाऊँगा ? ...यही सब बातें उसके दिल और दिमाग मे तूफान मचाये हुए थीं। सिगरेट पर सिगरेट पीते हुए वो कोई निर्णय नही ले पा रहा था। पर निशा को