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त्रिखंडिता - उपन्यास
Ranjana Jaiswal
द्वारा
हिंदी महिला विशेष
जिंदगी राजनीति प्रेरित है और यह राजनीति सत्ता की राजनीति है, जो चारों तरफ व्याप्त है | परिवार हो या पास-पड़ोस | राज्य हो या समाज | प्रदेश हो या देश | गाँव हो या कस्बा| स्त्री हो या पुरूष| प्रेम हो या विवाह | अपने हों या पराएँ | रिश्ते हो या नाते | साहित्य या कला | थियेटर या फिल्म | पुरस्कार या सम्मान | नियम या कानून हर जगह एक जबर्दस्त राजनीति है | शह और मात की राजनीति, दिल की जगह दिमाग की राजनीति | जीत उसी की जो कूटनीतिज्ञ, दुनियादार, बहुरूपिया, नौटंकीबाज । सफल वही जो राजनीति की नब्ज समझ गया | वरना फ्लाप सारी संवेदना, भावना, अच्छाई, सच्चाई के बावजूद | सबसे बड़ी बात जिंदगी की राजनीति बड़ी ही सूक्ष्म होती है, दिखाई नहीं पड़ती | कुछ लोग तो जीवन के अंतिम क्षणों तक इसे नहीं समझ पाते, कुछ सब कुछ खत्म होने के बाद समझते हैं | कुछ उसी में घुल-मिल जाते हैं, कुछ झींकते -पछताते हैं पर कुछ कर नहीं पाते हैं | कुछ ऐसे भी बदनसीब हैं जो कलम उठाते हैं और फ्लाप लेखक बन जाते हैं |
त्रिखंडिता भूमिका जिंदगी राजनीति प्रेरित है और यह राजनीति सत्ता की राजनीति है, जो चारों तरफ व्याप्त है | परिवार हो या पास-पड़ोस | राज्य हो या समाज | प्रदेश हो या देश | गाँव हो या कस्बा| स्त्री ...और पढ़ेया पुरूष| प्रेम हो या विवाह | अपने हों या पराएँ | रिश्ते हो या नाते | साहित्य या कला | थियेटर या फिल्म | पुरस्कार या सम्मान | नियम या कानून हर जगह एक जबर्दस्त राजनीति है | शह और मात की राजनीति, दिल की जगह दिमाग की राजनीति | जीत उसी की जो कूटनीतिज्ञ, दुनियादार, बहुरूपिया, नौटंकीबाज ।
त्रिखंडिता 2 अनामा की डायरी रमा एक अनाम अकेली स्त्री की डायरी के पन्ने पलट रही है।यह डायरी उसे फुटपाथ पर बिकने वाली पुस्तकों के ढेर में मिली थी।शीर्षक ने प्रभावित किया तो ले लिया था।डायरी नयी थी।समय-समय पर ...और पढ़ेडायरी के पन्नों से उस स्त्री के मनोभाव झांक रहे थे।डायरी पढ़ कर रमा को लगने लगा है कि यह हर अकेली स्त्री की व्यथा है, उसकी भी। 5 जनवरी कभी-कभी मेरा क्रोध चरम पर होता है। मुझे सब पर गुस्सा आता है। अपने आप पर भी ! लोगों का स्वार्थी रूप मुझे पीड़ित करता है । अपने आप को
त्रिखंडिता 3 अधूरी कहानी रमा को याद है हर्ष। जब पहली बार उसने उसे देखा था तो देखता रह गया था। उसके गाइड ने दोनों का परिचय कराया था। हर्ष को जब पता चला कि वह उसी के क्षेत्र ...और पढ़ेहै और उसी के कॉलेज में पढ़ी है तो खुश हो गया और उसे छोड़ने उसके आवास तक आया। फिर अक्सर उससे मुलाकातें होती रहीं। वह उसके सौन्दर्य का कायल था और हमेशा कहता कि मेरे दोस्तों में आपकी भव्यता की चर्चा होती है। आप भारतीय स्त्री की सुंदरता की प्रतिमान हैं। उसे आश्चर्य होता कि अब तक तो किसी
त्रिखंडिता 4 कुछ तो है प्रभा जब भी उनके तेजस्वी, सुंदर, शांत चेहरे को देखती है, अजीब सा सुकून महसूस करती है। कॉलेज आते ही वह शीशे वाले उनके केबिन की ओर जरूर देखती है और उन्हें देखते ही ...और पढ़ेसे भर जाती है। जिस दिन वे नहीं होते, पूरे दिन उदासी महसूस करती है। जाने क्यों हमेशा उनका चेहरा उसकी आँखों मे डोलता रहता है। जब से कॉलेज में वे प्रिंसिपल के रूप में आए हैं तभी से उसका यही हाल है। शुरू के दिनों में तो वह डर गयी थी कि क्यों वे उसे इतना याद आते हैं।
त्रिखंडिता 5 पराकर्षण अपनी बाल.सखी सीमा के दमकते चेहरे को अनामा देखती रह गयी। इतना अपूर्व रूप! सीमा पहले भी सुंदर दिखती थी, पर इस समय उसके चेहरे पर नवयौवन की ताजगी मधुरिमा व कमनीयता एक साथ उतर आई ...और पढ़ेअनामा जान गयी कि सीमा प्रेम में है। प्रेम ही स्त्री को इतना सुंदर, शांत और आभामय बना सकता है। कुछ दिनों पूर्व तक वह मुरझायी और चिड़चिड़ी-सी थी। कम उम्र में शादी फिर एक-एक कर तीन बच्चे, घर-गृहस्थी की पूरी जिम्मेदारी और ऊपर से ससुराल वालों का अत्याचार। सीमा रात-दिन खपती रहती। अनामा को बड़ी तकलीफ होती। उसकी सबसे