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त्रीलोक - एक अद्भुत कहानी - Novels
by Sanaya
in
English Mythological Stories
( उपन्यास )1. एक बहुत बढ़ा बंगला था बिलकुल एक आलीशान हवेली की तरह। उस बंगलाके आगे बड़े बड़े पोस्टर लगेहुवे थे। वो पोस्टर लड़कीकी थी जो की एक हीरोइन की है। उस पोस्टरके ठीक नीचेकी तरफ बड़े अक्षरोमे लिखागया था - (नंदनी हिंदुस्तानी)। उस आलीशान बंगलापर लिखा था -[The Film Set ]। सुबहके कुछ साढ़े चार बजेथे, बंगलाके आसपास ठंडी हवा चलरही थी। एक ठंडी सी हवका झोका उसी बंगलाकि एक कमरे की खुलीहुई खिड़की के अंदर जाती है। उस कमरे के अंदर की लाइट बुझाहूवा था। उस कमरेमे सोई हुई लड़की अपनी हातोसे मुह्पे लागहुआ ब्लैंकट निकलती है।
( उपन्यास )1. एक बहुत बढ़ा बंगला था बिलकुल एक आलीशान हवेली की तरह। उस बंगलाके आगे बड़े बड़े पोस्टर लगेहुवे थे। वो पोस्टर लड़कीकी थी जो की एक हीरोइन की है। उस पोस्टरके ठीक नीचेकी ...Read Moreबड़े अक्षरोमे लिखागया था - (नंदनी हिंदुस्तानी)। उस आलीशान बंगलापर लिखा था -[The Film Set ]। सुबहके कुछ साढ़े चार बजेथे, बंगलाके आसपास ठंडी हवा चलरही थी। एक ठंडी सी हवका झोका उसी बंगलाकि एक कमरे की खुलीहुई खिड़की के अंदर जाती है। उस कमरे के अंदर की लाइट बुझाहूवा था। उस कमरेमे सोई हुई लड़की अपनी हातोसे मुह्पे लागहुआ ब्लैंकट निकलती है।
(उपन्यास)2.नंदनी अपनी मनको शांत करते हुवे सोचती है - "मुझे इसके बारेमे ज्यादा नहीं सोचना चाहिए। अगर ये प्रकृति मुझसे कुछ कहना चाहती भी हो तो वो केहेदेगी, गुरूजी ठीक ही केहे रहेहै।" नंदनी सोजती है। अगली सुबह नंदनी ...Read Moreकुछ काम ख़तम करके पूजा की थाली तैयार करती है। पीतल की थाली मे फूलो से सजाकर बीचमे आरती की दिया रखती है। नंदनी ज्यादातर अकेले ही मंदिर जाया करती थी। इंडस्ट्री के बाकि के लोग मंदिर और पूजा मे उतना ध्यान नहीं देते थे। थे। एक नंदनी ही थी जो रोज सुबह पूजा करती थी। वो बचपन से ही नारायण की
त्रीलोक - एक अद्धभुत गाथा (उपन्यास)3नंदनी के मन मे कई सारे सवाल थे। उसकी मन शान्त नहीं थी। उसकी माथे पर उसकी चिंता और परिसानी साफ झलक रही थी। वो खुद को कई सवाल करती है - "मे राघव ...Read Moreप्यार कब से करने लगी?, मुझे तो ये भी नहीं पता की मे उससे प्यार करती हु या नहीं। मुझे उसके साथ रहेकर इतनी सुकून क्यों महसूस होती है? और जब वो खुश होता है तो मे इतना खुश क्यों होती हु? जब वो मुझसे गले लगा तो मेरी सारी चिंता गायब होकर मुझे सुकून क्यों महसूस हुआ? क्या मे उससे प्यार
त्रीलोक - एक अद्धभुत गाथा (उपन्यास)4सबलोग एयरपोर्ट पोहोचते है। वो लोग एयरपोर्ट के अंदर चलते है। सब लोग अपनी अपनी सूटकेस चेकिंग के लिए देते है। सूटकेस चेकिंग के बाद डायरेक्टर साहब ने ऑनलाइन खरीदी हुई टिकट दिखाकर सब ...Read Moreवेटिंग रूम मे जाते है। थोड़ी समय के बाद सब लोग प्लेन के अंदर जाते है। जल्द ही प्लेन टेक ऑफ करती है। सब लोग आराम से कश्मीर पोहोचते है। कश्मीर के एयरपोर्ट से बाहर निकलकर टैक्सी का इंतजार करते है। थोड़ी ही देर इंतजार करनेके बाद टैक्सी मिलती है। डायरेक्टर साहब दो टैक्सी रिज़र्व करते है। टैक्सी वाला कहता है -
त्रीलोक - एक अद्धभुत गाथा (उपन्यास)5नंदनी अपना दरवाजा लक करके खाना खाने के लिए दीपिका के साथ होटल की एक हॉल की तरफ चलती है। हॉल के अंदर कई सारे टेबल और चेयर थे जिनकी डिज़ाइन भी बहत एंटीक ...Read Moreवहा की माहौल राजा महाराजा की साही दावत जैसी थी। हॉल के सीलिंग मे शेर का बड़ा सा डिज़ाइन बनाया हुआ था। दीपिका नंदनी को एक टेबल पे लेचलती है जहा पर पेहेले से ही सब पोहोचगये थे। सब लोग डिनर करने लगते है पर नंदनी को कुछ कमी महसूस होती है। नंदनी इधर उधर देखती है और उसे ये पता