Akash Saxena लिखित उपन्यास BOYS school WASHROOM | हिंदी बेस्ट उपन्यास पढ़ें और पीडीएफ डाऊनलोड करें होम उपन्यास हिंदी उपन्यास BOYS school WASHROOM - उपन्यास उपन्यास BOYS school WASHROOM - उपन्यास Akash Saxena द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां (114) 4.1k 12k 3 ठक ठक ठक...ठक ठक ठक... दरवाज़े पर ज़ोर से आहट होती है,विहान!विहान...स्कूल बस आती ही होगी 7 बज चुके हैं क्या कर रहे हो,आज फिर देर करोगे क्या?विहान की माँ( प्रज्ञा) उसे आवाज़ लगातीहै।विहान जो कि 12 साल का ...और पढ़ेबस आ हीगया।प्रज्ञा-जल्दी आओ तुम्हारा बैग और टिफ़िन लगा दिया है।विहान-बस आ ही गया माँ और दरवाज़ा खुलता है,गोल मटोल मासूम सा विहान हँसता हुआ बाहर आता है, उसके बाल बिगड़े और जूतों के फीते खुले होते हैं,इतने बड़े हो गए पर अभी भी फीते बांधने नहीं आये तुम्हें प्रज्ञा कहते हुए उसके फीते बांधने लग जाती है।तभी बस के पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें नए एपिसोड्स : Every Tuesday BOYS school WASHROOM 845 1.6k ठक ठक ठक...ठक ठक ठक... दरवाज़े पर ज़ोर से आहट होती है,विहान!विहान...स्कूल बस आती ही होगी 7 बज चुके हैं क्या कर रहे हो,आज फिर देर करोगे क्या?विहान की माँ( प्रज्ञा) उसे आवाज़ लगातीहै।विहान जो कि 12 साल का ...और पढ़ेबस आ हीगया।प्रज्ञा-जल्दी आओ तुम्हारा बैग और टिफ़िन लगा दिया है।विहान-बस आ ही गया माँ और दरवाज़ा खुलता है,गोल मटोल मासूम सा विहान हँसता हुआ बाहर आता है, उसके बाल बिगड़े और जूतों के फीते खुले होते हैं,इतने बड़े हो गए पर अभी भी फीते बांधने नहीं आये तुम्हें प्रज्ञा कहते हुए उसके फीते बांधने लग जाती है।तभी बस के सुनो अभी पढ़ो BOYS school WASHROOM-2 498 1.3k पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे स्कूल बस में कुछ लड़के विहान को परेशान करने लगते हैं और विहान अपने बड़े भाई यश को आवाज़ लगा देता है,अब आगे"यश भईया।" "यश भईया।"विहान के बुलाते ही सब लड़के फटाफट ...और पढ़ेसीट पकड़ कर बैठ जाते हैं। यश बस में आगे बैठा होता है और आवाज़ सुनते ही अचानक खड़ा होकर विहान से पूछता है 'क्या हुआ विहान? कोई परेशानी?' और पूछता हुआ विहान की तरफ बढ़ता है, जो कि पीछे बैठा हुआ होता है, 'क्या हुआ अब?'यश बड़बड़ाता हुआ विहान के पास जाकर बैठ जाता है।यश-बोलो क्या हुआ? मेरे सुपरमैन सुनो अभी पढ़ो BOYS school WASHROOM - 3 452 1.1k पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे यश की बस मे कुछ लड़कों से कहा सुनी हो जाती है और मामला बस इन्चार्ज तक पहुंचता है। बस में बच्चों को डरता देख टीचर बात को ज़्यादा आगे ना बढ़ाते ...और पढ़ेचुप चाप हर्षित,विशाल और राहुल को आगे जाकर बैठने के लिए कहता है...जिसमे से विशाल तो आगे चला जाता है पर हर्षित और राहुल अपनी सीट पर अड़े रहते हैं ,विहान भी यश के साथ आगे जाकर बैठ जाता है और लगभग तीस मिनट बाद बस स्कूल पहुंचती है।अब आगेचलो सब जल्दी जल्दी अपनी अपनी क्लासेस में पहुँचो "कम ऑन सुनो अभी पढ़ो BOYS school WASHROOM - 4 366 981 घंटी की आवाज़ के साथ ही पेओन अंदर जाता है-'जी सर जी '.... प्रिंसिपल (गुस्से मे) एक पर्ची पेओन के हाथ मे थमा देता है-"जाओ इन सभी बच्चों को अभी की अभी मेरे रूम मे भेजो... लेकिन पहले विहान ...और पढ़ेभेजना उसके बाद बाकी सब को"... पेओन जल्दी से जाता है और पहले विहान को और फिर बाकी सब को प्रिंसिपल के पास जल्दी से आने को कहता है।.... प्रिंसिपल रूम मे बुलाये जाने की बात से ही हर्षित, राहुल और विशाल के पसीने छूटने लगते है... सब प्रिंसिपल के रूम के बाहर जाकर खड़े हो जाते हैँ लेकिन उन्हें सुनो अभी पढ़ो BOYS school WASHROOM - 5 285 1.1k हर्षित, विशाल और राहुल प्रिंसिपल रूम से रोते हुए ही बाहर जाते हैँ तो उनकी रोनी शक्लो को देखकर पेओन उन पर तंज कस्ता है.. 'लगता है भईया हो गया काण्ड'... ये सुन कर हर्षित आग बबूला हो उठता ...और पढ़ेऔर गुस्से मे आकर पेओन का कालर पकड़ के अपनी तरफ ज़ोर से खींचता है..."कांड तो बेटा अब इन दोनों भाईयों का होगा और साथ मे तेरा भी"... राहुल-चल हर्षित इसे तो बाद मे देखेंगे... और तीनो चले जाते हैँ इधर अंदर प्रिंसिपल सर यश के कंधे पर हाथ रखते हैँ-"देखो यश तुम एक बहुत अच्छे और समझदार बच्चे हो... सुनो अभी पढ़ो BOYS school WASHROOM - 6 231 720 तभी पीछे से यश की पैंट खींचकर विहान यश से पूछता है'क्या हुआ भैया किसे ढूंढ रहे हो आप'... यश एक गहरी सांस लेता है और यश को गोद मे उठा लेता है.... ""तुझे ही ढूंढ रहा था, कहाँ ...और पढ़ेथा तू?"'मै वो बस, वाशरूम गया था'..."अच्छा ठीक है, तूने लंच किया?"....यश के पूछते ही विहान एकदम चुप हो गया..लेकिन यश ने बात को वहीँ खत्म कर के विहान को लंच के लिए पूछा ….."मेरे साथ लंच करेगा,चल आज दोनों भाई साथ मे लंच करेंगे"...विहान सुन कर थोड़ा खुश हो गया लेकिन वो थोड़ा डरा भी था क्यूंकि उसका लंच सुनो अभी पढ़ो BOYS school WASHROOM - 7 198 669 यश भी अपनी क्लास मे पहुँचता है.... क्लास शुरू होती है पर यश मानो क्लास मे होकर भी वहां नहीं होता... उसकी एक आंख घड़ी पर और एक आँख उन तीनो पर गढ़ी होती है... वो बस इंतज़ार कर ...और पढ़ेहोता है की कब छुट्टी हो और वो विहान को लेकर घर जाए....जैसे तैसे यश 2 घंटे काटता है और फिर एक ज़ोरदार घंटी बजती है जो की छुट्टी के लिए होती है.... सब अपने बैग जैसेकरने लगते हैँ लेकिन यश जैसे ही घंटी की गूँज सुनता है, वो अपना सारा सामान वहीँ छोड़कर विहान की क्लास की तरफ भागता सुनो अभी पढ़ो BOYS school WASHROOM - 8 186 585 विशाल, हर्षित, और राहुल तीनो प्रिंसिपल को देख कर भाग जाते हैँ….इधर यश अपने कपड़े ठीक करता है और अपना बैग पैक करने लगता...वो कुछ किताबें उठाता है की एक किताब मे से एक पन्ना निकल कर नीचे गिर ...और पढ़ेहै...यश किताबों को बैग मे रखकर उस पन्ने को उठाता है…"अरे! ये क्या है"...पन्ना खाली होता है, यश पलट कर देखता है तो उस पर कुछ लिखा होता है, ….यश देख ही पाता है कि प्रिंसिपल की आवाज़ आती है….'यश तुम अभी तक गए नहीं बस जाती ही होंगी, कम ऑन हरी अप!....यश बिना पढ़े ही उस कागज़ को जल्दी सुनो अभी पढ़ो BOYS school WASHROOM - 9 204 663 "ओ! हो! यश!....ये क्या शोर मचा रखा है।" प्रज्ञा दरवाज़े खोलते ही यश पर चिल्ला पडती है।लेकिन यश अपना हाथ फिर भी डोर बैल से नहीं हटाता... .शायद प्रज्ञा की आवाज़ को वो सुन ही नहीं पाता या फिर ...और पढ़ेदिमाग मे चल रहे शोर मे प्रज्ञा की आवाज़ कहीं गुम ही हो जाती है…प्रज्ञा गुस्से से यश का हाथ बैल पर से हटाकर नीचे झटक देती है…यश का ध्यान हटता है और वो एक दम चौंक जाता है क्यूंकि प्रज्ञा और अविनाश रोज़ अपने क्लिनिक से थोड़ा लेट आते थे लेकिन आज दोनों जल्दी घर आ गए थे...तो यश सुनो अभी पढ़ो BOYS school WASHROOM - 10 168 696 ""सुनो प्रज्ञा मै समझता हूँ तुम्हे क्या महसूस हो रहा है और मै भी वही महसूस कर रहा हूँ जो तुम महसूस कर रही हो, लेकिन मेरी तरह तुम्हें भी ये समझना होगा की यश अब बच्चा नहीं रहा, ...और पढ़ेजानता है की उसे क्या करना है क्या नही। .. ..किस से कैसे बात करनी है।...कहाँ जाना है,कैसे लोगों के साथ रहना है, कैसे अपनी प्रोब्लेम्स को हैंडल करना है।….. और वो अब बड़ा हो चुका है तो हमें खुद ही उसे स्पेस देनी होगी...वो हमसे कभी नहीं कहेगा…. वो बहुत समझदार है और मुझे पूरा विश्वास है वो कभी सुनो अभी पढ़ो BOYS school WASHROOM - 11 150 549 यश दरवाज़ा खोलकर बिना कुछ बोले अपनी स्टडी टेबल पर जाकर बैठ जाता है…अविनाश देखता है की यश अभी भी अपनी स्कूल ड्रेस मे ही है, उसकी टाई उसके बेड पर पड़ी है, उसके जूते भी बिखरे पड़े हैँ, ...और पढ़ेस्कूल बैग भी ज़मीन पर पड़ा हुआ है और वो कुछ टेंशन मे है…..अविनाश सिचुएशन को समझते हुए यश से कीच नहीं पूछता सिवाए इसके की…"बेटा! क्या मे अंदर आ सकता हूँ"....यश पीछे मुड़ता है…."अरे आइए ना पापा आप ऐसे क्यों पूछ रहे हैँ"...अविनाश-नहीं मुझे लगा की तुम्हारा बात करने का कोई मन नहीं है शायद...इसलिए पूछा।यश-नहीं नहीं ऐसा कुछ सुनो अभी पढ़ो BOYS school WASHROOM - 12 150 561 अविनाश और विहान दोनों की निगाहेँ दरवाज़े पर गयीं तो वहाँ यश खड़ा था जो की थोड़ा घबराया हुआ था...यश को वहाँ देखकर विहान चुप पड़ गया और उसकी बात वहीं की वहीं अधूरी रह गयी…..यश-चलिए पापा! मै फ्रेश ...और पढ़ेचुका हूँ….आपको कुछ बात करनी थी ना मुझसे…अवि विहान की बात को भूल जाता है और उसे गोद मे से नीचे उतारकर उसके कान मे धीरे से कहता है…."जल्दी से तैयार हो जाये..ओके"...यश ये सब देखकर डरा जा रहा था...की कहीं बातों बातों मे स्कूल वाली बात कहीं विहान उसके पापा को ना बता दे….क्योंकि बात इतनी बड़ी थी नहीं सुनो अभी पढ़ो BOYS school WASHROOM - 13 165 627 अविनाश और उसकी फॅमिली तैयार होकर आज शाम बाहर एन्जॉय करने के लिए निकले तो थे लेकिन यश और विहान के उतरे चेहरों को देख देख कर प्रज्ञा को एक चिंता खाये जा रही थी….की आखिर हमेशा बातें बनाने ...और पढ़ेउसके बच्चे आज इतना चुप चुप क्यूँ है….वो अपने वेन्यू तक पहुँचने ही वाले थे की तभी प्रज्ञा ने अविनाश को गाडी रोकने के लिए कहा…"क्या...क्या हुआ प्रज्ञा कोई प्रॉब्लम"प्रज्ञा-नहीं प्रॉब्लम कुछ नहीं, बस तुम यहीं रुको साइड मे…."अरे हुआ क्या ये तो बताओ".....हाँ मम्मा कोई इमरजेंसी है क्या? (यश पीछे से आवाज़ लगाते हुए बोला)प्रज्ञा-नहीं! नहीं कोई इमरजेंसी नहीं सुनो अभी पढ़ो BOYS school WASHROOM - 14 144 609 "यश अपने पैसे अपने पास रख विहान मेरे भी तो भाई जैसा ही है, आइसक्रीम मैंने ली है तो पैसे भी मे ही दे देता हूँ"हर्षित यश की आँखों मे आंखे डालकर बोला और उसके बाजू मे खड़ा विशाल ...और पढ़ेलगा….ये सुनकर विहान ने आइसक्रीम फ़ेंक दी…."अपनी औकाद मे रह समझा ना" यश हर्षित के करीब होते हुए बोला…विशाल यश को पीछे करते हुए-"आराम से मिस्टर हेड बॉय, ये आपका स्कूल नहीं है।"यश ने गुस्से मे आकर विशाल को धक्का दे दिया और वो गिर गया-"दोबारा मुझे छूने की हिम्मत भी मत करना"....."ये लो भैया आपके आइसक्रीम के पचास रूपये….चल सुनो अभी पढ़ो BOYS school WASHROOM - 15 282 "तुम लोगों को कहीं देखा है पहले…"प्रज्ञा सोचते हुए बोली"हाँ..हाँ ऑन्टी वो हम आपके घर के पास ही मे रहते हैँ, मिस्टर एंड मिसेस कांजी" हर्षित ने तुरंत ही जवाब दिया।विशाल "अच्छा तो हम चलते हैँ आप लोग एन्जॉय ...और पढ़ेकहकर विशाल और हर्षित दोनों वहां से खिसक लिए...उसके कई दिन बाद तक सब कुछ नार्मल चलता रहा….हर्षित, विशाल और राहुल स्कूल मे दिखाई नहीं दिए और इधर यश और उसका भाई भी अपने एक्साम्स मे बिजी हो गए। फिर दिन आया स्कूल के फेयरवेल का या फिर यूँ कहूं की यश की फेयरवेल पार्टी का।सब स्कूलों की तरह ही सुनो अभी पढ़ो अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Akash Saxena फॉलो