dosto se parivar tak book and story is written by Akash Saxena "Ansh" in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. dosto se parivar tak is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
दोस्ती से परिवार तक - उपन्यास
Akash Saxena "Ansh"
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
Brief intro-राहुलविकास-राहुल के पिता।सुुशीला-राहुल की माँ।रियाअविनााश-रिया के पिता।राधा-रिया की माँ ।रीमा-रिया की बहन।मनीषदीपक-मनीष के पिता।सिया-मनीष की माँ।_______________________कार का हॉर्न ज़ोर से बजते हुए कार मनीष के घर रुकती है और साथ ही आवाज़ आती है,राहुल! राहुल! जल्दी आ ना यार...कितनी देर लगाएगा (रिया ज़ोर से आवाज़ देते हुए)...अबे आ जा साले! पैसे में दे दूंगा (हस्ते हुुए) मनीष भी आवाज़ लगाता है। मनीष-रिया कॉल कर यार इसको ,पता नहीं कहाँ मर गया...ये हर बार देर करता है। रिया-हाँ रुक! (रिया राहुल को फ़ोन करती है)अबे उठा ले सो गया क्या?(रिया बड़बड़ाते हुए)और फ़ोन उठता है,कहाँ है आज ही जाना है(रिया),आ गया बस,बस
Brief intro-राहुलविकास-राहुल के पिता।सुुशीला-राहुल की माँ।रियाअविनााश-रिया के पिता।राधा-रिया की माँ ।रीमा-रिया की बहन।मनीषदीपक-मनीष के पिता।सिया-मनीष की माँ।_______________________कार का हॉर्न ज़ोर से बजते हुए कार मनीष के घर रुकती है और साथ ही आवाज़ आती है,राहुल! राहुल! जल्दी आ ...और पढ़े यार...कितनी देर लगाएगा (रिया ज़ोर से आवाज़ देते हुए)...अबे आ जा साले! पैसे में दे दूंगा (हस्ते हुुए) मनीष भी आवाज़ लगाता है। मनीष-रिया कॉल कर यार इसको ,पता नहीं कहाँ मर गया...ये हर बार देर करता है। रिया-हाँ रुक! (रिया राहुल को फ़ोन करती है)अबे उठा ले सो गया क्या?(रिया बड़बड़ाते हुए)और फ़ोन उठता है,कहाँ है आज ही जाना है(रिया),आ गया बस,बस
पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे मज़ाक मज़ाक में कही रिया और मनीष की कुछ बातें राहुल को बुरी लग जाती हैं और राहुल गुस्से में आकर मनीष को गाड़ी रोकने के लिए कहता है,लेकिन मनीष गाड़ी नहीं ...और पढ़ेतो राहुल कूदने की बात कह कर गेट खोल देता है और रिया राहुल से सॉरी बोलते बोलते उसे समझाती है,पर हालात बिगड़ते देख मनीष ज़ोर से ब्रेक लगा कर बीच सड़क पर ही गाड़ी रोक देता है।अब आगेगाड़ी रुकते रुकते ही राहुल बाहर निकल कर वापस लौटने लगते है...रिया और मनीष के कुछ समझ नहीं आता कि आखिर ये
तो पिछले भाग में आपने पढ़ा कि एक अच्छी खासी लड़ाई के बाद या यूँ कहूँ की एक अच्छे खासे मज़ाक के बाद राहुल का मज़ाक उस पर ही उल्टा पड़ जाता है और वो रोने लगता है।और उसे ...और पढ़ेकराने की बजाय मनीष और रिया उसे वहीं रोता छोड़ चल देते हैं कि तभी राहुल का फ़ोन बजता है जो कि गाड़ी में ही पीछे पड़ा होता है।अब आगेये मेरा तो नहीं है शायद तेरा बज रहा है (मनीष अपना फोन देख कर रिया से बोलता है)...-नहीं यार मेरा भी नहीं है ये देख। रिया का फ़ोन देखते ही
मनीष अपनी शर्ट से अपने आंसू पोंछता है और अपने हाथ मे पकड़ी उस चीज को देखता है... "ये क्या है" खून से सनी होने की वजह से उसे साफ नहीं दिखता... इधर कहीं से एम्बुलेंस की बहुत ...और पढ़ेसी आवाज आने लगती है,जो शायद रात के सन्नाटे को चीरती हुयी मनीष की तरफ ही आ रही होती है....मनीष तुरंत अपने खून से सने हाथ को अपनी पेंट की जेब मे डालता है और रुमाल निकाल कर उसे साफ करने लगता है.... जैसे जैसे उस चीज़ पर से खून साफ होता जाता है वैसे वैसे मनीष की आँखों से आंसू आने
खून से लगभग पूरे लाल हो चुके और सफ़ेद चादर से ढके स्ट्रेचर पर, भीड़ को चीरती हुयी... लोगों की परछाईयों को समेटती हुयी कुछ गाड़ियों की रोशनी पड़ रही होती है... भीड़ मे फिर हलचल होने लगती है....'अरे!कौन ...और पढ़ेबेचारा'"पता नहीं इसके घर वालों को पता भी होगा की नहीं"'कितनी दर्दनाक मौत मरा है भगवान इसकी आत्मा को शांति दें 'भीड़ में खड़े लोग ऐसी ही बातें करने लगते हैँ और फिर थोड़ी देर बाद उस आदमी का चेहरे पर से कपड़ा हटाया जाता है......जो की कुछ हद तक साफ किया जा चुका था... ताकि उसकी पहचान हो सके....चेहरे