Sailaab book and story is written by Lata Tejeswar renuka in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Sailaab is also popular in सामाजिक कहानियां in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
सैलाब - उपन्यास
Lata Tejeswar renuka
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
ये कहानी भारत के सबसे बड़े और दर्दनाक हादसे - भोपाल गैस कांड को केंद्रित करके लिखी गयी है। इस कहानी को मैने अपने पति को. तेजेश्वर जी के द्वारा प्रेरित हो कर शुरू की है। गैस त्रासदी का वह रात कितना भयानक और दर्दनाक रहा तेजेश्वर जी के द्वारा आंखों देखी हाल का वर्णन उनके जुबान सुन कर मेरा मन द्रवित हो उठा। कहते हुए उनके चेहरे पर दर्द का लहर घना उठा था और सुनते हुए हमारा शरीर काँप उठा था। एक के बाद एक दर्दनाक तस्वीरें मेरे आंखों के सामने सिनेमा रोल की तरह बदलते गये। दिल को दहलाने देने वाली उस रात की सुबह कइयों ने देख भी नही पाए। एक पूरा गांव कुछ ही मिन्टों में समसान की ढेर में तब्दील हो चुका था। चीख पुकार अपनों को ढूंढते रिश्तेदार परिवार चारों और लाशों की ढेर। शायद ही देश ऐसे कोई घटना पहले देखी हो। उन में से मैने कुछ काल्पनिक चरित्रों के द्वारा पीड़ितों के मानसिक अवस्था को दर्शाने की कोशिश की है।
शतायु पलंग से उठ कर बैठा। नींद न आने के कारण वैसे भी परेशान था, ऊपर से गरमी। कुछ देर पहले ही बिजली गुल हो गई थी। आधी रात को बिजली चले जाना वहां कोई नयी बात नहीं थी। ...और पढ़ेसे दूर स्थित, उसके गाँव में अक्सर दिन में आधे समय इलेक्ट्रिसिटी का गुल रहना आम सी बात है। बिजली गुल होते ही मच्छरों का राज शुरू हो जाता था और उनका काटना भी सहना पड़ता था।
अंधेरी कोठरी में उन काली रातों की यादों को भुलाने का प्रयत्न कर रहा था। जब भी आँखें बंद कर सोने की कोशिश करता, कोई साया सपने में आ कर मन को विचलित कर देता था। उसने आकाश की ...और पढ़ेदेखा, आकाश में सूरज के उदय होने में बहुत समय था। वह हाथ को चेहरे पर रखकर सोने की कोशिश करने लगा लेकिन उसे नींद भला कैसे आती। एक के बाद एक विचार उसके दिमाग में जैसे घर कर रहे थे। चेहरे पर से हाथ हटा कर देखा, कमरे में अब भी अँधेरा राज कर रहा था। एक छोटा सा बल्ब दूसरे कमरे में जल रहा था शायद इसलिए हल्की सी रोशनी से उसका कमरा धुंधला सा नज़र आ रहा था।
शतायु ने स्टैंड से कपड़े निकाल कर पहने। पांच बज चुके थे। कुछ देर में बेबे भी उठ जाएंगी। दरवाज़ा खोल कर बाहर देखा। रास्ता सुनसान था। लोग अपने अपने घरों में अभी भी सोये हुए थे। जानु चाची ...और पढ़ेआंगन धो रही थी। वैसे तो जानु चाची का पूरा नाम जाह्नवी है, लेकिन जाह्नवी को सब प्यार से जानु चाची बुलाते हैं। वे खुद भी बहुत सरल और सहज इंसान हैं। कोई भी बहुत आसानी से उनके साथ घुलमिल जाता है। खास करके बच्चे बहुत पसंद करते हैं जानु चाची को इसलिए धीरे धीरे उनका नाम जानु चाची पड़ गया।
शतायु के वहाँ से जाते ही पवित्रा ने पावनी से आराम करने को कहा, पावनी यात्रा से थक गयी होगी कुछ समय विश्राम कर ले शाम को बात करेंगे। कहकर पवित्रा वहाँ से जाने लगी तो पावनी ...और पढ़ेपीछे से पुकारा, दीदी।
हाँ बोलो पावनी। कह कर वापस आ कर पास बैठ गयी पवित्रा।
दीदी, मुझे माफ़ करना मैं इस बार ज्यादा दिन रह नहीं पाऊँगी संकोच से कहा।
१५-२० दिन की छुट्टी मिली होगी न स्कूल से? डिलीवरी होनेतक रुकोगी न पावनी ?
पावनी के पैर लड़खड़ा गये। जहाँ खड़ी थी वहीँ वैसे ही बैठ गयी जैसे उसके पैर की शक्ति किसीने छीन ली हो। उसके सिर पर जैसे पहाड़ गिर पड़ा हो।
क्या.. क्या हुआ? मुझे पूरी बात बताओ। आप ...और पढ़ेक्या कह रहे हैं मुझे समझ में नहीं आ रहा है। मैंने रात को सोने से पहले ही दीदी से बात करी वहाँ सब बिल्कुल ठीक है फिर तुम क्या कह रही हो? पावनी के हाथ पैर काँप रहे थे। उसकी जुबान लड़खड़ा रही थी। उस ने अपना फ़ोन उठाकर घर पर फोन लगाया। घंटी बजती रही पर किसीने फोन नहीं उठाया।