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ना लगा मरहम अब मेरे जख्मों पर -ए -ज़ालिम, की अब तो दवा भी दर्द देती है.. .... संपर्क करें pandeyneerja1910@gmail.com
आया सावन का महीना, अब लागे दिल कहीं ना। दौड़ी बाबा गलियां जाऊं, जल बेलपत्र चढ़ाऊं।
"नकाब - 1" by Neerja Pandey read free on Matrubharti https://www.matrubharti.com/book/19930069/nakaab-1
ना दूध है ना फल है, मेरे पास सिर्फ जल है। बाबा इसे स्वीकार करो, मेरी नैया पार करो।
गुरु गर्व है..गुरु सर्व है, गुरु ही खेवन हार। रख दो सर पर हाथ मेरे तुम, हो जाए उद्धार। -Neerja Pandey
Thanks to all my curious and loving readers for supporting me all the time and inspiring me to share more of my creations.
हार नहीं मानी हमने, जीवन के तूफानों से। रार नही ठानी हमने, गैर होते अपनों से।
Neerja Pandey लिखित उपन्यास "पल पल दिल के पास" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें https://www.matrubharti.com/novels/33739/pal-pal-dil-ke-paas-by-neerja-pandey
चाहतों का मजा महसूस क्या तन्हा दिल करेगा...? कब्र है सीने में बाहर मौसम ए बहार है...
दीवारों से बातें करना आदत हो गई है, अब आ भी जाओ... गए मुद्दत हो गई है।
भविष्य का रास्ता..तय होता है वर्तमान से, कल हम क्या होंगे..? ये तय होता है हमारे आज के प्रयास से।
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