जीवन मनुष्य की बहुमूल्य निधि है, पता नहीं कितने भिन्न भिन्न प्रकारों के जन्मों के बाद मनुष्य जीवन प्राप्त होता है। अपने आपको भाग्यशाली, मानकर ही जीवन को सही माप-दंडो के अनुरुप चलाने में साहित्य की अपनी विशिष्ठ भूमिका होती है। पेशे से वकील होते हुए भी बचपन से साहित्य के प्रति सदा अनुराग रहा है। कुछ सालों से लेखन के प्रति झुकाव बढ़ गया है। कोई जरुरी नहीं बड़े-लेखकों की श्रेणी में आऊ, पर अच्छा लिखूं, सुधार को सदा मान्यता दूँ। कोशिश भर ही समझे, मेरे लेखन को, और मेरा मार्ग-दर्शन करे। शुभकामनाओं के साथ,

Kamal Bhansali मातृभारती सत्यापित कोट्स पर पोस्ट किया गया हिंदी कविता
3 सप्ताह पहले

मस्त मदकल बहती बयार, फूलों से हो गुलजार
धरती रही पुकार, महीनों रे, फागुन को दिलदार

रंगों, छंदों और गुलालों की छायी मादक बहार
होली का आया त्यौहार, साजन आ जाये मेरे द्वार

मन में फूटे रंगीले गुबार, तीखे नयनों का होगा प्रहार
भीगी मस्तियों के प्यार से, साजन को रंग दूं इस बार

रंग रसिया, मन बसिया, गाये पपिहा नाचे मन मोर
होली आई रे बालमा, रंग दे साजन, पिचकारी मार

प्रेम के रंगो का सरोवर में गुलालों का लगा दे अम्बार
मुस्कानों का दे दबाब, गालों पर कर प्यार रंग का प्रहार

"कान्हा " बन, रंग रसिया, भीगा दे मन की मेरी अंगिया
पल्लू में समाई जवानी, बन गई आज मेरी चंचल सखियां

आज की जवानी कल न हो साजन, रंगो सा साथ निभाना
मेरे हर सपने में आना, हर आलिंगन में रंगोत्सव बन रहना
✍️ कमल भंसाली

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Kamal Bhansali मातृभारती सत्यापित कोट्स पर पोस्ट किया गया हिंदी कविता
1 महीना पहले

शीर्षक : भटकाव प्यार का
(आज की relationship पर)

बेरुखी तुम्हारे चेहरे की बहुत कुछ समझा रही है
तुम्हारी नजरे अब किसी गैर में तुम्हें उलझा रही है

मोहब्बत की बातें मेरी तुम्हें असमंज में डाल रही है
निभाने की कोई मजबूरी अंदर से तुम्हें खाये जा रही है

सनम मेरे, बेवफाई के फूलों में नाजायज महक होती है
बात कोई गैर दिल की हो तो सूरत भी नालायक होती है

फलसफा प्यार का कहता, दिल जब आवारगी करता है
अंदर के गुनाह से इस दुनिया में अपनी बेशर्मी से डरता है

माना दिल भटकता है, तुम्हारे ख्यालों की कोई मजबूरी है
कदमों में एक बेड़ी वफा की डाल लेना, सनम ये जरुरी है

साथ चले, ये, हम दोनों की आरजूओं का एक सफ़र है
लहजे से छाये प्यार में, दावे हजार, सारे के सारे लाचार है

आओ मेरे पहलू में बैठो, समझो प्यार आखिर क्या है ?
प्यार से ही बंधे, बताओं भटकते दिल का इलाज क्या है ?
✍️ कमल भंसाली

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Kamal Bhansali मातृभारती सत्यापित कोट्स पर पोस्ट किया गया हिंदी शायरी
1 महीना पहले

❤️ प्रेम यानी प्यार ❤️

फलसफा प्यार में ही इतना रहा, दिल जिस्म में डूबा रहा
इतफाकी रस्मों से सच्चा प्यार, प्यार से ही सदा दूर रहा

कहने को बहुत कुछ पर सब कुछ कहना सही नहीं होता
मुस्कराते चेहरे में तन्हा जिंदगी का बहुत सा हिस्सा होता

प्रेम के दिवस हजारों पर सच्चा प्रेम कम ही नजर आता
उन्मादी रिश्तों में सिर्फ मदहोशी का जल्वा अखर जाता

प्रेम क्या है ? सच्ची परिभाषा का सदा मोहताज दिखता
बंधन कोई भी हो, बिन स्वार्थ के अंदर से उभर न पाता

उपहारों में खोया प्यार आखिर कब तक सलामत रहता ?
दिल टूटने की वजह बन अफसोस की दास्तां लिख जाता

दावे हजार कर लो पर पहले दिल की इनायत परख लो
वादे कसमों में छिपी असहज कामनाओं को संभाल लो

जज्बाती हो प्रेम जब किसी गुलदस्ते की शोभा को बढ़ाता
यकीन करो मेरा बिन महक के अस्तित्व पर झुंझला जाता

कहना सही लगता, प्यार उत्सव का मोहताज नहीं होता
"कमल" प्यार दिल का नूर है, बिन दर्शाये भी दिख जाता
✍️कमल भंसाली

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Kamal Bhansali मातृभारती सत्यापित कोट्स पर पोस्ट किया गया हिंदी कविता
3 महीना पहले

नये साल की नई किरणों का शुभ सवेरा
मुस्कराता स्वर्णिम भास्कर लगता प्यारा

बीती, बीते साल की रात, छाया रतनार प्रकाश
नव आशाओं में जगे, हम सब का स्वाति विश्वास

रुख मंजिलों का मुस्करायेगा, सपनों में आयेगा
हुई कभी कोई हार, तन भूल, फिर झूम जायेगा

फूल खिलेंगे प्रभास के, महकाएँगे स्वप्निल बहार
चेतना को ज्योति मिलेगी, दूर होगा गहन अंधकार

खोये रिश्ते याद आएँगे पलको में छवि मुस्करायेगी
दो पल की जिंदगी, ये बात समझ मे स्वतः आयेगी

अनमोल है जीवन का हर पल, न करेंगे कोई भूल
अपनों की दुनिया में प्रेम से बिताएंगे मिले हुए पल

"कमल" दे रहा मंगलकामनाओं का प्रेम भरा संदेश
हम शुभता से स्वस्थ रहे, ये साल हो सबका विशेष
✍️ कमल भंसाली

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Kamal Bhansali मातृभारती सत्यापित कोट्स पर पोस्ट किया गया हिंदी शायरी
5 महीना पहले

वो हमारे ही है, ये सिर्फ ख्याल ही ठहरा
दुनियादारी के किस्सों में जुनून कब ठहरा ?
✍️ कमल भंसाली

-Kamal Bhansali

Kamal Bhansali मातृभारती सत्यापित कोट्स पर पोस्ट किया गया हिंदी सुविचार
5 महीना पहले

#HappyDiwali

🌷दीपावली-मंगलकामनाएँ🌷

हर प्रांगण हर द्वार पर नव दीप जले
आलोकित हो हर मन के प्राण खिले
नव चेतना की बिखेरे सुनहरी किरणे
मन समृद्धि की चारों तरफ बहार फैले

लक्ष्मी का हो हर घर में रोज पर्दापण
संयम, शांति का रहे सदा पूर्ण समर्पण
धन, समृद्धि का सदा होता रहे भ्रमण
मंगलमय हो साल, यही प्रार्थना अर्पण

जर, से भर जाए हर परिवार के भंडार
स्वस्थ काया का सदा रहे उत्तम श्रृंगार
मुखड़ों की मुस्कराहट से शुरु हो भोर
प्रेममय स्नेह से आभायुक्त रहे ये सँसार

दीपावली की शुभता नभ तक छा जाये
उस पर भास्वर पावन सितारे सज जाये
चन्द्रमा शीतल शान्ति की किरणें बरसाये
निःसीम विश्व का रूप प्रियदर्शन हो जाये

भारत देश हर दिल की रोशनी बन जाये
अखण्डता का आशीर्वाद हमें मिल जाये
बेबसी के सारे तमस ज्योतिर्गमय हो जाये
वैभव का शैशव सुख बन धरा पर रह जाये

सुख समृद्धि से भरपूर हर जीवन रहे आबाद
माँ लक्ष्मी का मिलता रहे हमें सदा आशीर्वाद
रिद्धि सिद्धि शुभ लाभ के मालिक है, गणेश
"तमसो माँ ज्योतिर्गमय" से हो जीवन विशेष...
✍️ कमल भंसाली

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Kamal Bhansali मातृभारती सत्यापित कोट्स पर पोस्ट किया गया हिंदी कविता
5 महीना पहले

******जिंदगी******

महफूज नहीं है अब कहीं भी जिंदगी
आशियाने में भी दहशत में है जिंदगी

बेदम होती हवाओं में साँस लेती जिंदगी
अपने ही अल्फाजों से सहम ती जिंदगी

किसे कहे ? भय में दौड़ रही है जिंदगी
बदलते अपने खून से दर्द सह रही जिंदगी

दौर कैसा लालच से ही पनहा मांग रही जिंदगी
हर हाथ में खंजर खुद ही घायल हो रही जिंदगी

बेशुमार दौलत में तन्हाई से सिमट रही जिंदगी
कौन अपना ? खुद से ही जंग कर रही जिंदगी

बीमार हुई मौत की दावेदार बन गई है जिंदगी
रहम की गुजारिश में बचे दिन काट रही जिंदगी
✍️ कमल भंसाली

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Kamal Bhansali मातृभारती सत्यापित कोट्स पर पोस्ट किया गया हिंदी शायरी
6 महीना पहले

*तन्हाई *
अहद था जिंदगी का, कभी तन्हाई न देगी
दुनिया की महफ़िल में सदा गुलजार रहेगी
सोचा न था वक्त की हवायें रुख बदल लेगी
आज तन्हाई कहती अब वो साथ निभाएगी

कल के दस्तूर अब खोये खोये से रहने लगे
कल किये गये सब वादे अब साथ छोड़ने लगे
फूल प्यार के दिल की दहलीज पर झड़ने लगे
बिन लहजे के अब हमें सब बेवफा कहने लगे

दिल की किस गली में जाये, सब सूनी लगती
हर रिश्तें में अब वीरानी बदमस्त बन कर घूमती
बेरुखी से खुलती खिड़कियां दर्द से चरमराती
ठहरे हुए परदों को परछाईया धीरे धीरे हिलाती

कश्मकश जिंदगी की जज्बातों को कैसे समझाये ?
फितरत इंसानी, कहीं सदमों से कहर न बन जाये
है खुदा दे दुआ, इंसान फिर से इंसान बन मुस्कराये
बे ख्याल हो मोहब्बत, तन्हाई जरूरत न बन जाये
✍️ कमल भंसाली

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Kamal Bhansali मातृभारती सत्यापित कोट्स पर पोस्ट किया गया हिंदी शायरी
6 महीना पहले

नशा इश्क का हर कोई सह नहीं सकता
सह लिया जिसने जिंदा रह नहीं सकता
✍️ कमल भंसाली

-Kamal Bhansali

Kamal Bhansali मातृभारती सत्यापित कोट्स पर पोस्ट किया गया हिंदी सुविचार
6 महीना पहले

मौत आयेगी तो जिंदगी ठहर जायेगी
प्रियतम कहकर वो गले लग जायेगी

बेवफा है जिंदगी एक दिन साथ छोड़ देगी
तमाम उम्र बहुत कुछ करा रिश्ता तोड़ देगी

क्या ऐसा जिंदगी पर जो इतना हम इतराये ?
भूल जाये उसकी फितरत और सिर्फ लहराये

सच कहें तो जिंदगी एक बहती सी दरिया है
उसमें चंद खुशिया बाकी गहन जिम्मेदारियां है

"कमल" न कर गरुर जीना सिर्फ साँसों का सरुर है
कम होती जिंदगी में रोशनी चंद ज्यादा अंधकार है

समझ इतनी ही अच्छी हम इंसान बनकर आये है
कुछ भी नहीं है सिर्फ अस्त-उदय होने वाले साये है
✍️ कमल भंसाली

-Kamal Bhansali

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