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  • पागल

    पागल,, हां सही नाम से पुकारा करता था वो मुझे। (हंसते हुए) पागल ही तो हूं मैं उसक...

प्रेम गली अति साँकरी By Pranava Bharti

बादलों से टपकता पानी, धूप -छाँव की आँख मिचौली और जीवन की आँख मिचौली कभी-कभी एक सी ही तो लगती है | जब जी चाहा धूप-छाँह और जब मन किया मन के आसमान से बौछारों का सिलसिला कुछ ऐसा ही हो...

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द्रोहकाल जाग उठा शैतान By Jaydeep Jhomte

रहज़गढ़ 300-350 की आबादी वाला एक गाँव है। गाँव के लोगों के घर मिट्टी के बने होते हैं। गांव में आने-जाने का एकमात्र साधन कच्ची सड़क है। जो बरसात के दिनों में पूरी तरह से कीचड़ में त...

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पहला प्यार By Kripa Dhaani

2 फरवरी 1987

कोहरे की चादर लपेटे जाड़े की अलसाई सुबह सूरज की झिलमिलाती किरणों के इंतज़ार में थी। चाय की चुस्कियों और अख़बार की सुर्ख़ियों के साथ दिन का आगाज़ हो चुका था। मुँह अंधेरे...

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शोहरत का घमंड By shama parveen

आलिया का आज कॉलेज में आखिरी दिन है। इसलिए आज वो कॉलेज में पार्टी कर रही है सभी के साथ क्योंकि अब वो कॉलेज नही आयेगी। अब वो एग्जाम देगी और उसके बाद कॉलेज से छुट्टी।

पार्टी खत्म ह...

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परछाईया By Dr.Chandni Agravat

प्रिय वाचक आपने मेरी कविता और कहानीओ को खुब सराहा अब आपके समक्ष ला रही हुं रोमांच से भरपुर एक धारावाहिक कहानी उम्मीद हे अप पसंद करेंगे।इस कहानी के सभी पात्र और घटनाक्रम काल्पनिक है...

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अंगद - एक योद्धा। By Utpal Tomar

~आरंभ~पतझड़ के दिन अभी अभी खत्म हुए थे, अब मौसम का सफर बसंत ऋतु की सुगंध सेमहकती हवाओं की रवानगी की और बढ़ रहा था | यह कहानी भी कई सौ साल पहले इन्हीं दिनों शुरू हुई थी | यह वह समय...

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गुलाबो By Neerja Pandey

दूर से आती लाठी की ठक ठक की आवाज सुनकर रज्जो और गुलाबो चौकन्नी हो गई। दोनों ऊपर छत पर से पड़ोसी की बहू के संग अपना अपना दुखड़ा एक दूसरे से साझा कर रही थी। जैसे ही लाठी की आवाज कान...

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डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा की लघुकथाएँ By Dr. Pradeep Kumar Sharma

(1) लाइक एंड कॉमेंट्स

रात के लगभग साढ़े ग्यारह बजे रामलाल जी का हृदय गति रुकने से देहांत हो गया। उनका बड़ा बेटा शंकरलाल गाँव से सैकड़ों मील दूर एक शहर में अफसर था। छोटे बेटे भोल...

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पागल By कामिनी त्रिवेदी

पागल,, हां सही नाम से पुकारा करता था वो मुझे। (हंसते हुए) पागल ही तो हूं मैं उसके लिए , उसके पीछे , उसके प्यार में।"

रात के 1 बज चुके थे । आंखों से नींद कोसों दूर । आज उसे प...

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भयानक यात्रा By नंदी

उसका शरीर शिथिल हो चुका था, आंखो में डर और बोलने की ताकत भी नही रही थी।
सतीश ने जूली को देखा तो हक्काबक्का रह गया,बिंदास रहने वाली लड़की अचानक से ऐसी हालत में देख के इसके मन में ब...

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प्रेम गली अति साँकरी By Pranava Bharti

बादलों से टपकता पानी, धूप -छाँव की आँख मिचौली और जीवन की आँख मिचौली कभी-कभी एक सी ही तो लगती है | जब जी चाहा धूप-छाँह और जब मन किया मन के आसमान से बौछारों का सिलसिला कुछ ऐसा ही हो...

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द्रोहकाल जाग उठा शैतान By Jaydeep Jhomte

रहज़गढ़ 300-350 की आबादी वाला एक गाँव है। गाँव के लोगों के घर मिट्टी के बने होते हैं। गांव में आने-जाने का एकमात्र साधन कच्ची सड़क है। जो बरसात के दिनों में पूरी तरह से कीचड़ में त...

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पहला प्यार By Kripa Dhaani

2 फरवरी 1987

कोहरे की चादर लपेटे जाड़े की अलसाई सुबह सूरज की झिलमिलाती किरणों के इंतज़ार में थी। चाय की चुस्कियों और अख़बार की सुर्ख़ियों के साथ दिन का आगाज़ हो चुका था। मुँह अंधेरे...

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शोहरत का घमंड By shama parveen

आलिया का आज कॉलेज में आखिरी दिन है। इसलिए आज वो कॉलेज में पार्टी कर रही है सभी के साथ क्योंकि अब वो कॉलेज नही आयेगी। अब वो एग्जाम देगी और उसके बाद कॉलेज से छुट्टी।

पार्टी खत्म ह...

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परछाईया By Dr.Chandni Agravat

प्रिय वाचक आपने मेरी कविता और कहानीओ को खुब सराहा अब आपके समक्ष ला रही हुं रोमांच से भरपुर एक धारावाहिक कहानी उम्मीद हे अप पसंद करेंगे।इस कहानी के सभी पात्र और घटनाक्रम काल्पनिक है...

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अंगद - एक योद्धा। By Utpal Tomar

~आरंभ~पतझड़ के दिन अभी अभी खत्म हुए थे, अब मौसम का सफर बसंत ऋतु की सुगंध सेमहकती हवाओं की रवानगी की और बढ़ रहा था | यह कहानी भी कई सौ साल पहले इन्हीं दिनों शुरू हुई थी | यह वह समय...

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गुलाबो By Neerja Pandey

दूर से आती लाठी की ठक ठक की आवाज सुनकर रज्जो और गुलाबो चौकन्नी हो गई। दोनों ऊपर छत पर से पड़ोसी की बहू के संग अपना अपना दुखड़ा एक दूसरे से साझा कर रही थी। जैसे ही लाठी की आवाज कान...

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डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा की लघुकथाएँ By Dr. Pradeep Kumar Sharma

(1) लाइक एंड कॉमेंट्स

रात के लगभग साढ़े ग्यारह बजे रामलाल जी का हृदय गति रुकने से देहांत हो गया। उनका बड़ा बेटा शंकरलाल गाँव से सैकड़ों मील दूर एक शहर में अफसर था। छोटे बेटे भोल...

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पागल By कामिनी त्रिवेदी

पागल,, हां सही नाम से पुकारा करता था वो मुझे। (हंसते हुए) पागल ही तो हूं मैं उसके लिए , उसके पीछे , उसके प्यार में।"

रात के 1 बज चुके थे । आंखों से नींद कोसों दूर । आज उसे प...

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भयानक यात्रा By नंदी

उसका शरीर शिथिल हो चुका था, आंखो में डर और बोलने की ताकत भी नही रही थी।
सतीश ने जूली को देखा तो हक्काबक्का रह गया,बिंदास रहने वाली लड़की अचानक से ऐसी हालत में देख के इसके मन में ब...

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