जैसे करनी वैसे भरनी c P Hariharan द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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जैसे करनी वैसे भरनी

जैसे करनी वैसे भरनी

Author : C.P.Hariharan

email Id : cphari_04@yahoo.co.in

दिलीप सिंग एक सरकार

कार्यालय में ही काम कर रहा था।

उसको कुछ ज्यादा जानकारी ही नहीं थी।उसको यह नौकरी कैसे मिली, राम ही जानता है। शायद उसने पिछले जन्म में कोई अच्छा कर्म किया होगा। सरकारी नौकरी होने के कारण उसकी शादी भी बड़ी जल्दी ही हो गयी।दो साल में दो लड़के भी हो गयी।उसकी पत्नी शीला तो पढ़ी लिखी नहीं थी, बल्कि वह अंगूठा छाप थी। दिलिीप सिंग ने तो शुरू शुरू में उससे प्यार दिखाया तो भी बाद में उसको नफरत करने लगा।

उन लोगों को आपस में कभी भी आपस मेंनहीं बनी। छोटी मोटी बातों में भी आपस में सांप और नेवला की तरह ज़बरदस्त लड़ाई करते रहे। लड़ाई हमेशा केलिए जारी रही।

उनके बेटे ने भी पढ़ाई लिखाई में कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी।वह लोग छोटी मोटी व्यापार कर रहे थे । कुछ साल बाद उनके लड़कों के शादी भी हो गयी ।

उनके भी बच्चे हो गये।

दूसरा बेटा चन्दन सिंग की व्यापार अच्छी तरह चल रही थी ।

उसका माँ बाप की रिश्ते रोज़ की रोज़ हर बात पर लड़ाई करने के कारण बहुत बिगड़ गयी।

शीला की उम्र करीबन पैंसठ साल की थी।

एक दिन रात को उसकी पति ने गुस्से में आकर अपना बेल्ट उतारकर उसको ज़बरदस्त मारकर उसको घर से बाहर निकाल दिया। वह बेचारी इतनी रात में कहाँ जाती ? उसकी माथे से ज़बरदस्त खून निकल रही थी।

मामला गड़बड़ हो गयी। अड़ोस पड़ोस की लोगों ने पुलिस

को उसका शिकायत की। पुलीस भी पहुंच गये । दिलीप सिंग को पुलिस कड़ी चेतावनी देकर वापस घर भिजवाया।

चन्दन सिंग की बीवी श्यामा भी अनपढ़ गवार थी। उसका भी दो लडकियां हो गयी थी। चन्दन सिंग अपने आप को बहुत बड़ा समझता था।

उसको किसी का भी कोई परवाह नहीं था। वह शराबी था।

जितनी भी व्यापर से कमाई हो रही थी वह उसको दोस्तों के साथ दारु पीने केलिए भी कम ही थी।फिर कहाँ से वह अपनी परिवार की देखभाल करता, संभालता।

एक दिन उसको अपनी दोस्तों

के साथ दारु पीने केलिए पैसे की कमी पड़ गयी।

उसने रात को सोते वक्त बीवी की मंगल सूत्र चुराया।

उसने मंगल सूत्र को धाव पर लगाकर उस पैसे में दारु जी भर पी ली और दोस्तों को भी पिलाया।

चन्दन सिंग की पत्नी श्यामा को जब यह बात पता चला कि उसकी मंगल सूत्र ही चोरी हो गयी, वह तो बिलकुल ही हैरान होकर घबरा गयी। उसकी घबराहट की कोई ठिकाना नहीं थी।उसको चुप रहने के सिवा

और कोई रास्ता

नज़र नहीं आयी।श्यामा की लाख कोशिश के बावजूद भी

चन्दर सिंग की पीने के

आदत में कोई बदलाव

नहीं आयी। मगर वह दिन भर दिन और ज्यादा पीता रह गया।उसकी बीवी तो सब कुछ बर्दास्त करती रही।

बेचारी अनपढ़ी औरत कर भी क्या सकती थी ?

एक दिन पीने की अपनी इच्छा

पूरा करने केलिए उसने

अपनी पत्नी को ही धाव पर लगाने की कोशिश की।

अब की बार श्यामा को बिलकुल ही बर्दास्त नहीं हुई।

वह अपनी बच्चों सहित बोरी बिस्तर मैक्के निकल गयी।

चन्दन सिंग का पिता भी कम तोड़ी न था ? उसने अपनी पत्नी को रोज़ की रोटी तक मना कर दी।

वह इतनी बुढ़ापे में, किसी निजी कारयालय में झाडू पोछा की काम करने में मज़बूर हो गयी। मिया बच्चे होते हुए भी उसकी ख़याल रखनेवाले इस दुनिया में कोई नहीं था।

पी पीकर चन्दन सिंग की जिगर और गुर्दा बिलकुल ही खराब हो गयी थी।वह ठीक से चल भी नहीं पा रहा था।उसको तीन चार बार अस्पताल में भी भर्ती कराया गया।

डॉक्टरों ने भी उसकी बिगड़ती हुई हालात को देखकर जवाब दे दिया था कि वह

दो चार महीने से ज्यादा इस दुनिया में जीवित नहीं रह सकता। जब चन्दन सिंग को इस बात की पता चला,उसको ज़िंदगी में पहली बार अपनी गलतियों की एहसास होने लगी। उसका पचतावा का कोई ठिकाना नहीं था।लेकिन अब पचताने से क्या फायदा ?

श्यामा तो दस घर में झाड़ू

पोछा की काम करके अपनी

ज़िंदगी गुजार ली।

उसको पता चल गयी थी

कि वह अपनी पति की भरोसे में रहेगी तो आगे कुछ भी नहीं होनेवाला है। ज़िंदगी की गाडी रुक जायेगी।

दिन भर दिन चन्दन सिंग की हाल और बिगड़ गयी।

ज़िंदगी में सब से ज्यादा दुःख तभी होती है कि जब हमें पता चलता है कि हम थोड़ी सी ही दिन और इस दुनिया में रहेंगे जैसे कि कैंसर की रोगियों को पता चलता है कि वे सिर्फ थोड़ी सी ही दिन और इस दुनिया में रह पायेंगे।

चन्दन सिंग अपनी पत्नी और बच्चों से मिलने केलिए तड़प रहा था, मगर कोई भी उस पर तरस नहीं खाया।

श्यामा ने तो, उसको कबका

हमेशा केलिए छोड़ दिया

था। उसने तो उसकी ज़रा सा भी परवाह नहीं की, न ही फ़िक्र की। वह सिर्फ अपनी ही कामों में ही लगातार लगी रही।

जो चन्दन सिंग के साथ में दारु पी रहे थे, उन्होंने भी, उसके पास पैसे नहीं है, ऊपर से वह बीमार भी हो गया, सोचकर अपनी अपनी रास्ते में निकल गये। पैसे खत्म दोस्ती खत्म।चन्दन सिंग एकदम अकेला हो गया।भगवान् भी उसका साथ नहीं दिया।

जो जैसे बुआई करता है

वैसे ही भुगतना पड़ता है।

आगे क्या होगा यह किसी के

सोच के बाहर नहीं था।

श्यामा ने तो ज़िंदगी में बहुत सपने देखि थी।चन्दन सिंग से बहुत उम्मीदें रखी थी। उसकी

ज़िंदगी की सारी सपने एक पल में शीशे की तरह टूटकर

चूर चूर हो गयी।

दिल की अर्मानें आंसुओं में बह गयी। उसकी आंसू पोछने वाले या सांत्वना देनेवाले इस दुनिया में कोई नहीं था। ज़िंदगी में कभी भी हवा उसकी तरफ नहीं चली।जो ससुर अपनी पत्नी को भी को भी देखभाल नहीं कर सकता वह बहु केलिए क्या काम में आयेगा ? श्यामा को तो अपनी ससुराल की तरफ मुड़कर देखने की भी हिम्मत नहीं हुई।श्यामा इकलौती बेटी थी।उसकी माँ बाप भी गुजर चुकी थी ।बस, भगवान् की कृपा से रहने केलिए एक छोटी सी घर रह गयी थी।

श्यामा ने खुद की या बच्चों की परछाई भी चन्दन सिंग के नज़र में पड़ने नहीं दिया। एक दिन शाम को चन्दन सिंग की

गुजरने की खबर श्यामा को

दिया गया।उसने उसकी अंतिम संस्कार में भाग लेने की कोई

दिलचस्पी नहीं दिखायी।

उसकेलिए तो वह

कब का मर चूका था।

श्यामा ने तो हर औरत की तरह यही सपने देखा था कि अपनी पति ज़िंदगी भर अपनी माथे पर सिन्दूर भरेगा।

लेकिन दुर्भाग्य से

उसकी सपने पूरे नहीं हुए।

श्यामा ने सोचा कि जो हम चाहते है, वह कभी नहीं होता। हमारे सोचने की मुताबिक कुछ भी नहीं होता। सिर्फ ईस्वर की मर्ज़ी चलती है। हमारे हाथ में कुछ भी नहीं है। जो होना है वह होकर ही रहेगा।वह किसी को भी रोक नहीं सकता।नसीब अपनी अपनी।

ज़िंदगी में जो होता है उसी को ही सामना करना पड़ता है, उसी को ही संभालना पड़ता है।

श्यामा ने आगे की ज़िंदगी अकेले ही संभालने की दावा ली। उसके पास

और कोई विकल्प नहीं थी।

कहीं दूर से नन्नी मुन्नी सी ताज़ी हलकी सी एक ठंडी हवा श्यामा की आँखों की पलकों पर टकराने लगी।उसने खुदा को बहुत शुक्रिया आदा किया। ज़िंदगी में पहली बार उसने राहत की एक लम्बी सांस ली।उसको ज़िंदगी की बीती को मुड़कर देखने की हिम्मत नहीं हुई। हर हालात में अपनी परिवार को संभालने की कसम खायी। वह निश्चिंत हिम्मत से अपनी दो लड़कियों को पाल पोछकर बढ़ाने की

खातिर ज़िंदगी में आगे बढ़ती रही। कड़ी मेहनत ज़ारी रखी।

......शुभम………

Author : C.P.Hariharan

email Id : cphari_04@yahoo.co.in